उत्तराखंड में आय दिन करोड़ों की ठगी के मामले बढ़ते ही जा रहे है।आपको बता दे कि उत्तराखंड सरकार में जान पहचान होने और खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात बताकर शातिर ने देहरादून में 52 करोड़ रुपये का एलईडी लाइट का टेंडर दिलाने के नाम पर हापुड़ निवासी बिल्डर अक्षत त्यागी से 62.75 लाख रुपये ठग लिए। उत्तराखंड में ये पहली बार नहीं है,इससे पहले भी कई ठगी हो चुकी है। साथ ही आरोपी ने टेंडर का फर्जी वर्क ऑर्डर भी बिल्डर को दे दिया। जांच में वर्क ऑर्डर फर्जी निकले तो ठगी का पता चला। मामले में अक्षत त्यागी ने महेश मारहिया, सोनक मारहिया, सौरभ वत्स और पीसी उपाध्याय के खिलाफ कविनगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।
अक्षत त्यागी गाजियाबाद में प्रणाली इन्फोटेक प्रा. लि. नाम फर्म संचालित करते हैं। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया कि हरिद्वार में उनकी मुलाकात महेश माहरिया से हुई थी। महेश ने खुद को उत्तराखंड सरकार में पीएसयू बताया। इसके बाद महेश ने उन्हें उत्तराखंड में दो टेंडर दिलवाने की बात कही और पीसी उपाध्याय व सौरभ वत्स से मुलाकात करवाई।उसने बताया कि दोनों मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं और सरकारी टेंडर दिलवाते हैं।
तीनों ने मिलकर उन्हें 26-26 करोड़ के दो टेंडर दिलवाने का वादा किया और इसके लिए उनसे 60 लाख रुपये की मांग की। आरोप है कि टेंडर फार्म भरवाने के बाद पहली बार में उनसे 20 लाख रुपये लिए फिर 15 लाख रुपये लिए।
उन्हें बताया गया कि उनके दोनो टेंडर पास हो गए हैं और जल्द ही वर्क ऑर्डर मिल जाएगा।इसके बाद उनसे 20 लाख रुपये लिए और फिर पांच लाख। आरोप है कि महेश महारिया की पत्नी के बैंक खाते में रकम ट्रांसफर करवाई। रुपये देने के बाद भी उन्हें वर्क ऑर्डर नहीं मिला तो उन्होंने बात की। उसने बताया कि अर्बन डेवलपमेंट के निदेशक छुट्टी पर हैं, इसलिए वर्क ऑर्डर नहीं बन पा रहा है। इसके बाद आरोपियों ने फर्जी वर्क ऑर्डर दे दिए। बाद में वर्क ऑर्डर के फर्जी होने की जानकारी पर फोन उठाने बंद कर दिए। आरोप है कि तीनों ने कई राज्यों में इस तरह टेंडर का झांसा देकर कई लोगों से ठगी की है। एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी।