साइबर क्राइम: ऊखीमठ पुलिस ने फौजी को साइबर ठग से बचाया
रिपोर्ट-शम्भू प्रसाद
रुद्रप्रयाग: हम, आप सब किसी न किसी प्रकार से अपनी जीविका चलाते हैं, ऐसे ही हर कोई अपने व्यवसाय को चला रहा है, किसी की नौकरी सरकारी है तो किसी की प्राईवेट, इन सभी का मुख्य उद्देश्य है अपनी जरूरतें पूरी करना, अपने परिवार की जरूरतें पूरी करना। कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी व्यवसाय में हो या नौकरी पर हो, वह अपनी व अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ अपने सपनों का घर बनाने या अपनी किसी और आवश्यकता की पूर्ति के लिए कुछ न कुछ बचत भी करता रहता है। यही छोटी-छोटी बचत एक बड़ी रकम के रूप में तैयार हो जाती है। अगर यह रकम करीब 16 लाख की हो तो क्या कहना !
ऊपर से जनपद रुद्रप्रयाग जैसी पहाड़ी पृष्ठभूमि और पहाड़ी परिवेश में रहने वाले व्यक्ति के पास उसकी सालों की जोड़ी हुई इतनी रकम इकट्ठी हो जाये तो क्या हो !
और हां यदि उस पर ही ग्रहण लग जाये, मतलब कि, जो कुछ भी ऊपर लिखा गया है, उसके मुख्य अंश यानि कि, जिन 16 लाख रूपयों की बात हो रही थी, उन पर ही डाका डल जाये तो …………..????
बात दें कि जो कहानी गढ़ने का प्रयास यहां पर किया गया है, उसका वास्तविकता से उतना ही सम्बन्ध है, जितना कि, एक जीवित मनुष्य का सांस।
एक पहाड़ी युवक दूरस्थ गांव हुड्डू पो0 दैड़ा, तहसील ऊखीमठ, जिला रूद्रप्रयाग, अपनी कर्मठता एवं जोश से भारतीय सेना में भर्ती होता है। भर्ती होने पर उसका कई सपनों को पालना भी लाजिमी है, इन सपनों को धरातल पर उतारने के लिए जरूरी है कि, दिन रात मेहनत कर, देशसेवा करते हुए जो भी तन्ख्वाह मिलती है, पारिवारिक जरूरतों को पूरा करते हुए इसका कुछ हिस्सा बचाने में जुट जाते हैं। जैसा कि, आजकल कोरोना काल चला हुआ है, हमारे यही फौजी भाई भी छुट्टी लेकर अपने परिवार के पास आये हुए हैं। छुट्टी एक न एक दिन खत्म हो ही जाती है, ऐसे में फिर से जाना पड़ता है अपनी ड्यूटी पर। इनका ड्यूटी स्थल काफी दूर है और आजकल आवागमन में भी कोरोना कर्फ्यू के कारण काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है तो इन्होंने अपनी समस्या कुछ कम करने के इरादे से एयर इंडिगो फ्लाइट से जाने की टिकट करवायी थी।
दिनांक 22 मई 2021 को इनको एक मैसेज प्राप्त होता है कि, इनकी फ्लाइट का टिकट कैंसल हो गया है।
अब ये और परेशानी कि, टिकट तो कैंसल पर जो पैसे लगाये थे, टिकट को, वो कहां गये?
यानि कि पैसा वापसी कहें या रिफण्ड ये तो कुछ हुआ ही नहीं।
इतनी गाढ़ी कमाई के पैसे लगाये हैं तो वापस तो आने ही चाहिए।
यहां तक तो ठीक पर लेकिन
गड़बड़ तब हुई जब फौजी ने सहारा लिया इन्टरनेट का और सर्च किया कस्टमर केयर का नम्बर,
नम्बर मिला, बातचीत शुरू पर बात कहां हुई गलत पते पर………..
सामने वाले ने लिया इनको विश्वास में और इनसे एनीडेस्क डाउनलोड करवाया। जो भी कस्टमर केयर वाला कहता ये करते गये …………
इनको भी पता ही नहीं चला कि, ये क्या कुछ गलत करने जा रहे हैं, और इन्होंने जो नहीं देना था, वो भी उनको दे दिया मतलब कि, अपनी सारी बैंक डिटेल्स
उस बैंक खाते में पैसे कितने?
16 लाख!!
जी हकीकत है ये कि, इनके खाते में 16 लाख रूपये थे और सामने वाले ने सारे के सारे हड़प लिये।
और इधर तो सांप सूंघ गया, जमीन खिसक गयी जो कुछ हो सकना था हो गया।
अब क्या होगा ??
फौजी जैसे तैसे गिरते पड़ते पहुंचे पुलिस के पास
थानाध्यक्ष ऊखीमठ मुकेश थलेड़ी ने इस घटनाक्रम को साइबर सैल प्रभारी उपनिरीक्षक राजीव चौहान से साझा किया। साइबर सैल प्रभारी और उनके शागिर्द राकेश रावत ने मिलकर जो कुछ भी मदद हो सकनी थी, तुरन्त अपने स्तर से फोन घुमाये, अपने से सम्बन्धित ग्रुपों मेें मैसेज डाले और इन पैसों को होल्ड करवाने का प्रबन्ध किया गया। इसमें जिस किसी से भी सम्पर्क साधा गया सभी के द्वारा अपनी तरफ से सहयोग जरूर दिया गया।
हुआ ये कि, ये पैसे इनको ठगने वाले के हाथ नहीं लग पाये।
पुलिस की त्वरित कार्यवाही से इनकी इतनी बड़ी रकम इनको वापस हो गयी है।
यह सम्पूर्ण घटनाक्रम सुरेन्द्र सिंह रावत पुत्र स्व0 अमर सिंह रावत, निवासी ग्राम हुड्डू पो0 ओ0 दैड़ा, तहसील ऊखीमठ, जिला रूद्रप्रयाग के साथ घटित हुआ है।
इसमें इनके द्वारा बहुत बड़ी गलती तो कर दी गयी थी, पर अपनी इस गलती में न भर का सुधार ये किया था कि, इन्होंने सूचना पुलिस को समय पर दे दी। नहीं तो इनकी गाढ़ी कमाई ये 16 लाख रूपये ऐसे चले जाते।
सुरेन्द्र सिंह रावत जी तो इस साइबर ठगी का शिकार होने से बच गये पर यदि सतर्कता और सावधानी नहीं बरती तो बार-बार इनके जैसे लकी भी नहीं होते हैं लोग।