मई में उत्तराखंड में ओमिक्रॉन के वैरिएंट एक्सई के मामले तेजी से सामने आ सकते हैं। एक्सई वैरिएंट के संक्रमण की दर ओमिक्रॉन से दोगुनी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने जून से जुलाई के बीच संक्रमण के चरम काल में पहुंचने की आशंका जताई है।
देश में कोरोना के मामले फिर बढ़ रहे हैं। एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट एक्सई भी अब देश में दस्तक दे चुका है। यह ओमिक्रॉन का ही सबम्यूटेंट है। यही कारण है कि इसकी संक्रमण दर ओमिक्रॉन से दोगुनी है।
इससे तय है कि देशभर में एक्सई वैरिएंट के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ेंगे। मई के पहले से दूसरे सप्ताह के बीच उत्तराखंड में एक्सई वैरिएंट के मामले सामने आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमण की दर को देखते हुए जून से जुलाई के बीच इसके चरम पर पहुंचने की आशंका है। हालांकि, ओमिक्रॉन की तरह ही एक्सई वैरिएंट के गंभीर परिणाम सामने आने की संभावना बेहद कम है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड समेत पूरे देश में तेजी से कोरोनारोधी टीकाकरण होने से लोगों में हर्ड इम्यूनिटी भी बनी है। इसलिए अधिकांश लोगों में संक्रमित होने के बाद सर्दी जुकाम जैसे लक्षण ही नजर आएंगे, लेकिन गंभीर रूप से बीमार और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इसलिए गंभीर बीमारों, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए को भी कोरोना सुरक्षा नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के बीए.1 और बीए.2 का मिश्रित रूप या हाइब्रिड ऑफ टू सबलीनिएज है। इसकी संक्रमण दर ओमिक्रॉन के मुकाबले दोगुनी है। नए वैरिएंट को लेकर शोध कार्य चल रहे हैं।
डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कोरोना वैक्सीन से संक्रमण के गंभीर लक्षणों से सुरक्षा मिलती है, लेकिन टीका लगने के बाद भी संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए मास्क पहनने, शारीरिक दूरी का पालन करने और हाथों को सैनिटाइज करने जैसे नियमों का पालन करना जरूरी है।
विदेशों में एक्सई वैरिएंट के जो संक्रमण के मामले सामने आए हैं उनमें 20 प्रतिशत संक्रमित बच्चे हैं। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए उनको मास्क पहनने, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजेशन जैसे सुरक्षा नियमों को लेकर जागरूक करना बहुत जरूरी है।
एक्सई वैरिएंट के लक्षण बुखार, गले में खराश, गले में दर्द, कफ, सर्दी, त्वचा में जलन, त्वचा का रंग बदलना, दस्त जैसे हैं।