18वीं लोकसभा: नए सांसदों ने अब तक नहीं किया कोई कार्य स्वीकृत
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2024 तक 18वीं लोकसभा के किसी भी सांसद ने अपनी सांसद निधि से कोई भी विकास कार्य स्वीकृत नहीं किया है। इससे जनता के बीच असंतोष की स्थिति बनती जा रही है, क्योंकि सांसद निधि का उद्देश्य स्थानीय विकास को गति देना है।
17वीं लोकसभा: 5782 में से 795 कार्य अभी भी प्रारंभ नहीं
17वीं लोकसभा के कार्यकाल में उत्तराखंड के सांसदों ने कुल 5782 कार्य स्वीकृत किए थे, जिनमें से केवल 3517 कार्य ही पूर्ण हो सके हैं। वहीं 1470 कार्य अभी भी प्रगति पर हैं, और 795 कार्य ऐसे हैं जो दिसंबर 2024 तक शुरू तक नहीं हो पाए।
सांसदवार रिपोर्ट: किसने कितना किया खर्च?
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अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा ने 17वीं लोकसभा में 1763 कार्य स्वीकृत किए, जिनमें से 701 कार्य पूर्ण, 936 कार्य प्रगति पर, और 36 कार्य अभी भी प्रारंभ नहीं हुए हैं। उनकी निधि का 69% हिस्सा खर्च हो सका है।
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हरिद्वार के पूर्व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल की 50% निधि खर्च हुई, 355 स्वीकृत कार्यों में से 160 पूर्ण और 195 प्रगति पर हैं।
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हरिद्वार के वर्तमान सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अभी तक अपनी 5 करोड़ रुपये की सांसद निधि से कोई कार्य स्वीकृत नहीं किया है।
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पौड़ी सांसद अनिल बलूनी की निधि से भी कोई कार्य स्वीकृत नहीं हुआ है।
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पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत की निधि का केवल 38% हिस्सा खर्च हुआ, 986 में से 370 कार्य पूर्ण, 166 प्रगति पर और 450 कार्य शुरू ही नहीं हुए।
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टिहरी सांसद राजलक्ष्मी शाह ने वर्तमान कार्यकाल में कोई नया कार्य स्वीकृत नहीं किया है। पूर्व कार्यकाल में स्वीकृत 2397 कार्यों में से 2086 पूर्ण हो चुके हैं जबकि 307 अभी भी प्रारंभ नहीं हुए।
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नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने भी अपनी वर्तमान निधि से अब तक कोई कार्य स्वीकृत नहीं किया है।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड में सांसद निधि का उपयोग चिंता का विषय बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर नए सांसदों ने अपने पहले वर्ष में कोई विकास कार्य शुरू नहीं किया, वहीं पुराने सांसदों के अधूरे कार्य जनता के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। आवश्यकता है कि सांसद निधि के उपयोग की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए ताकि जनहित में कार्य शीघ्रता से पूरे हो सकें।