कोरोना संकटकाल में पत्रकारों पर गहराया आर्थिकी का संकट
– जान जोखिम में डालकर खबर संकलन का करते हैं काम, सरकार का इनकी तरफ नहीं कोई ध्यान
– स्कूल फीस, मकान किराया व भरण-पोषण का इंतजाम करना हो रहा मुश्किल
– महामारी में हुई मौत पर परिवार की जिम्मेदारी वहन करे सरकार
विकासनगर। कोरोना काल में जिस बहादुरी के साथ पत्रकार साथी खबर संकलन कर समाज को हर छोटी-बड़ी खबरें पहुंचाते हैं, निश्चित तौर पर बहुत बड़ा काम है, लेकिन सरकार का ध्यान इनकी आर्थिकी एवं इनके परिवार की तरफ बिल्कुल नहीं है। जिस कारण ये सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। कहने को तो यह चौथा स्तंभ है, लेकिन यह स्तंभ (अधिकांश पत्रकारों के मामले में) कभी भी भरभरा कर गिर सकता है !
शनिवार को जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को चेताया और कहा कि, सोशल मीडिया, पोर्टल, गैर मान्यता प्राप्त तथा अन्य प्रकार से सक्रिय भूमिका निभाने वाले मंझोले पत्रकारों की आर्थिक स्थिति एक मजदूर से भी बदतर हो गई है, जिस पर समय रहते ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसी महंगाई के दौर में पत्रकार साथी कराह रहा है, लेकिन सरकार के कानों में उसकी पीड़ा वाली गूंज सुनाई नहीं दे रही है।
आलम यह है कि, अधिकांश पत्रकार साथियों को बच्चों की स्कूल फीस, मकान किराया व भरण-पोषण करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है तथा इसके साथ-साथ इस महामारी में जान गंवाने का भय भी इनको खाए जा रहा है।
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि, पत्रकार साथियों को कोरोना वारियर के साथ-साथ फ्रंटलाइन वर्कर घोषित कर इनकी आर्थिकी एवं परिवार की भी सुध ले।