किसान आंदोलन : उतराखंड में भी उबाल ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से बैरिकेडिंग तोड़ आगे बढ़े किसान, पुलिस से नोकझोक
रुड़की : दिल्ली कूच कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों पर लाठीचार्ज और कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के किसान सुबह करीब 11 बजे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और कारों से नारसन बॉर्डर पहुंचे। यहां पहले से ही मौजूद पुलिस फोर्स ने उन्हें रोक लिया, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से बैरिकेडिंग तोड़कर किसान आगे बढ़ गए। आनन फानन पुलिस ने किसानों का पीछा किया और करीब आधा किमी आगे जाकर यूपी क्षेत्र में रोक लिया। यहां से किसान वापस आने को तैयार नहीं थे। लिहाजा पुलिस ने किसानों को हिरासत में ले लिया और नारसन पुलिस चौकी ले आई। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। शाम करीब पांच बजे सभी किसानों को छोड़ दिया गया। इस दौरान यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार को माननी ही होंगी। पूरे देश का अन्नदाता दिल्ली में बैठी सरकार की मनमानी नहीं सहेगा।
उचित मूल्य से कम में किसान अपनी फसल नहीं बेचेगा। कालाबाजारी रोकने के लिए व्यापारियों के लिए भी एक निश्चित मूल्य रखना होगा। सभी संगठन एकजुट होकर सरकार के खिलाफ खड़े हैं। जिला अध्यक्ष विजय कुमार शास्त्री ने कहा कि जो हरियाणा और पंजाब के किसान तीनों कृषि कानूनों का शुरू से विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन पर डंडे बरसा रही है।
शाम करीब तीन बजे राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पद्म सिंह भाटी के नेतृत्व में बॉर्डर पर पहुंचे किसानों को भी दिल्ली नहीं जाने दिया गया। किसानों ने आगे बढ़ने के भरसक प्रयास किए, लेकिन पुलिस दीवार बनकर खड़ी हो गई। इसके बाद किसान लौट गए। पुलिस का कहना था कि कोरोना के चलते दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी सकती है।