बेखौफ खनन माफियों ने वरिष्ठ पत्रकार पर किया जानलेवा हमला
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। बीते शनिवार राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस था, जिस उपलक्ष में पीएम मोदी से लेकर सीएम व सभी लोगों ने इस दिवस पर पत्रकारों को बधाइयां दी। साथ ही पत्रकारों के होंसलों को सराहा, पर वह केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित नजर आया। क्योंकि उत्तराखंड में जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के राज में हिंदी पत्रकारिता दिवस के दिन ही खनन माफिया ने पत्रकार पर जानलेवा हमला किया।
बता दें कि खनन माफियाओं द्वारा रात के अंधेरे में नदियों का सीना छलनी किया जा रहा है और जब इस काले कारनामे को उजागर करने के लिए राज्य आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ पत्रकार राजीव गौड़ अपने सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंचे तो खनन माफियाओं ने उन पर पहले फायर झोंका और जब वह गोली का शिकार होने से बच गए तो पिस्तौल की बट से उनके सर पर आघात किया। इस हमले में राजीव गौड़ घायल हो गए। सवाल केवल घायल होने का नहीं। सवाल खनन माफिया के बुलंद हौसलों का है।
बताना जरूरी होगा कि, सूबे की सरकार के मुख्या स्वयं खनन विभाग के मंत्री है। सरकार और पुलिस प्रशासन की खुली छूट से ही खनन माफिया इतनी हिम्मत जुटा पा रहे हैं कि, वह पत्रकारों पर भी जानलेवा हमला करने से लिए निडर हो गए है। इतना ही नहीं पत्रकार के साथ मारपीट करने और गोली चलाने के बाद थाने में भी पुलिस के सामने ही अभद्रता की गई। पत्रकार पर हमला करने का प्रयास किया गया और पुलिस चुपचाप देखती रही। इतना कुछ होने के बाद भी पुलिस सिर्फ तहरीर मांग रही है।
ऐसे में सवाल यह है कि, क्या पुलिस तभी कार्रवाई करेगी जब कोई तहरीर देगा? सवाल इस बात पर है कि जीरो टालरेंस की त्रिवेंद्र सरकार में रात को नदियों का सीना छलनी करने की परमिशन किसने दी? वह कौन जिम्मेदार अधिकारी है, जिसके रहते अवैध खनन किया जा रहा है। खनन माफिया की करतूत प्रशासन को उजागर करने के साथ ही उन पर नकेल भी कसनी चाहिए। ऐसे में पत्रकार ने खनन माफिया के कारनामों को उजागर करने का प्रयास किया तो सफेदपोशों के चेलों ने पत्रकार पर ही हमला कर दिया। इस पर पत्रकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि, यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह उग्र आंदोलन को उतरेंगे।