*पूर्व में स्थापित उद्योग संभल नहीं रहे, चले थे नये उद्योग लगाने।
*वेलनेस समिट की नौटंकी बंद कर सरकारी खजाने की लूट हो बंद।
*बेरोजगार दर-दर की ठोकरे खा रहे, सरकार आराम फरमा रही।
*सरकारी रोजगार के रास्ते बंद कर दिये, अब फैक्ट्रियाँ भी होने लगी बंद।
रिपोर्ट-विजय रावत
डगमगाती भारतीय अर्थव्यवस्था से प्रदेश में उद्योग तेजी से बंद हो रहे हैं, जिसका नतीजा ये हो रहा है कि हजारों उद्योग बंद हो गये, तथा हजारों उद्योग बन्दी के कगार पर है, जिस कारण हजारों की तादाद में युवा नौकरी से बाहर हो गये।
2-3 दिन पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में लगभग 3700 लघु उद्योगों का बंद होना सामने आया तथा पूर्व से भी हजारों लघु, सूक्ष्म, मध्यम उद्योग बंद हो चुके हैं, जो कि अपने आप का बहुत बड़ा आंकड़ा है तथा प्रदेश की सेहत के लिए बड़ा घातक है। उद्योग विभाग के मुखिया एवं मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत की अनुभवहीनता एवं अदूरदर्शिता की वजह से उद्योगपतियों ने तेजी से अपना कारोबार समेट दिया, लेकिन प्रदेश के मुखिया को भनक तक न लगी।
त्रिवेन्द्र रावत द्वारा लगभग एक वर्ष पूर्व इन्वेस्टर्स समिट की नौटंकी कर झूठी वाहवाही लूटने के उद्देश्य से करोड़ों रूपया पानी की तरह बहा डाला तथा अब फिर वेलनेस समिट के नाम पर करोड़ों रूपया बहाने की तैयारी चल रही है।
दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश को एक गैरजिम्मेदार सीएम थमा दिया गया, जिसकी वजह से सरकारी नौकरियों के रास्ते बंद हो गये तथा जो थोड़ा बहुत रोजगार फैक्ट्रियों के जरिये मिला हुआ था वो भी बंद हो गया।
और प्रदेश में बेरोजगारी का यह आलम है कि यंहा 195 होमगार्ड की भर्ती के लिए बीटेक, एमटेक वाले हजारों छात्र आ रहे हैं। यदि आप हस्तक्षेप के रेगुलर पाठक है तो आपने बेरोजगारी से त्राहिमाम टाइटल वाली खबर जरूर पड़ी होगी उसमे सरकार ने प्रदेश में नोजवानों को कैसे ठगा है उसके बारे में बताया गया है।
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