पहले लॉकडाउन, फिर पड़ी मौसम की मार। किसानी तबका चिंतित
रिपोर्ट- राजेश आर्य
रुड़की। एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस की महामारी से गुजर रहा है और लॉकडाउन के चलते आम आदमी का जनजीवन आर्थिक संकट के दौर में है। वहीं तेज हवाओं के साथ बारिश ने गेहूं की फसल को बर्बाद करके रख दिया है, और इन दो माह में बोई जाने वाली गन्ने की फसल भी अधर में लटक गई है। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें और ज्यादा बढ़ गई है। मौसम की इस दोहरी मार से क्षेत्र का किसानी तबका अंदर ही अंदर घुट रहा है। फिलहाल मौजूदा स्थिति में गेहूं की फसल तैयार करके उसकी कटाई की जा रही है। कटाई के इस दौर में मौसम ने किसानों की चिंता को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
पिछले तीन-चार दिनों से तेज हवाओं के साथ भारी बारिश ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसलों को बर्बाद करके रख दिया है और बारिश में गेहूं के भीग जाने से वह खराब हो गया है।अब जो बाजार में कोड़ियों के भाव भी नहीं बिकेगा। क्षेत्र के मोंटी राणा, राजपाल सिंह, प्रधान तेल्लू राम, रामनिवास आदि का कहना था कि, गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की फसल को बोया जाता है लेकिन मौसम की इस मार से गन्ने की फसल बोने में देरी हो गई। जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। मौसम की इस मार का जिम्मा हम सरकार पर भी मढ सकते हैं, लेकिन यह तो ईश्वर प्रभु की कृपा है। ऊपर से पूरे देश में लगे लॉकडाउन के चलते किसान तबका पूरी तरह से मायूस है। सरकार फसलों के मुआवजे की बात तो करती रही है लेकिन उन्हें मुआवजे की जगह, बटेर ही हाथ लगती है।