- राजनीति : हरीश रावत ने शीर्ष नेताओं पर लगाया भितरघात का आरोप। कार्यालय में उपवास की दी चेतावनी
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आए दिन सोशल मीडिया में अपनी पोस्टों को लेकर चर्चित रहते हैं। हर दिन अपनी एक नई पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत छाए रहते हैं।
आपको बता दें कि आए दिन अपने सोशल मीडिया के जरिए नेताओं पर प्रहार करते नजर आते हैं जिसमें आज एक नया प्रहार और चेतावनी हरीश रावत के द्वारा साझा की जाती है वह अपनी आज की पोस्ट में लिखते हैं कि,
चुनाव हारने के बाद काफी समय से सोशल मीडिया में मुझ पर बिना सर-पैर के हमले करने वालों की बाढ़ सी आ गई है। धामी की धूम पेज में मुझ पर जुटकर प्रहार कर रहे भाजपाई शोहदों के साथ-साथ हमारे एक नेता से जुड़े हुए कुछ लोग भी दनादन मुझ पर गोले दाग रहे हैं, उनको लगता है हरीश रावत को गिराकर मार देने का यही मौका है।
वो लिखते हैं कि, मैं लगभग 241 किलोमीटर दूर एक अनचाही चुनावी जंग में फंस चुका था, मुझे 3-4 मार्च तक कहीं कुछ भी हो रहा हो उसकी खोज खबर लेने की फुर्सत ही नहीं मिल पा रही थी। कहां से एक यूनिवर्सिटी का मामला उठा, किसने उसको उठाया, किनके सामने उठाया! और उस व्यक्ति को पार्टी का उपाध्यक्ष किसने बनाया! यह कहानी अब सारे राज्य के लोगों को स्पष्ट मालूम है। यूनिवर्सिटी की बात कहने वाले व्यक्ति की सियासी जिंदगी में उसे सचिव व महामंत्री बनाने वाला नाम भी सामने आ चुका है। एक विस्फोटक बात करने वाले व्यक्ति को हरिद्वार ग्रामीण में पर्यवेक्षक बनाकर किसने भेजा और किसके कहने पर भेजा! यह तथ्य अभी जरूर स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उद्देश्य स्पष्ट था हरिद्वार ग्रामीण जो पहले से ही संवेदनशील चुनाव क्षेत्र है, वहां की उम्मीदवार को चुनाव हराना, वह मेरी बेटी है अर्थात कुछ लोग बाप का इंतजाम करने के बाद बेटी की हार का भी इंतजाम करने में लग गए थे।
मैं जानता हूं, यदि मैं इस पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग को लेकर कांग्रेस कार्यालय में उपवास पर बैठ गया तो एआईसीसी को स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच बैठानी पड़ेगी। मैं जानता हूं पार्टी को गहरे घाव लगे हैं। मैं अपने घाव को उकेर कर पार्टी के घावों में संक्रमण नहीं फैलाना चाहता हूं। मगर मुझे अपने पर निरंतर लगाए जा रहे झूठे आरोप और उसके दुष्प्रचार का खंडन भी करना है, और दुष्प्रचार फैलाने वाले चेहरों को बेनकाब भी करना है। हाल-फिलहाल मैंने फैसला किया है कि भाजपाइये और एक नेता विशेष के कांग्रेसी छाप दुष्प्रचारकों का भंडाफोड़ भी करना है।
मैंने पिछले दिनों उस समाचार पत्र की 10 प्रतियां लाकर मुझे दिखाने की चुनौती भाजपा के धामी की धूम पेज के शोहदों को दी थी और कहा था कि वह ऐसा समाचार पत्र लाने वाले को ₹50000 इनाम देंगे, अब इस दुष्प्रचार अभियान में कुछ तथाकथित कांग्रेसी छाप लोग भी सम्मिलित हो गए हैं। इसलिए मैंने अब यह राशि बढ़ाकर ₹100000 कर दी है। यदि कोई अखबार छपा है, तो उस समाचार पत्र का पंजीकरण नंबर, मुद्रक, प्रकाशक, वितरक तो होगा! कहां से छपा है उस स्थान का नाम होगा! छापने वाले संपादक व संवाददाता का नाम होगा! केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर एक झूठ को उपजाने वाली भाजपा व उनकी मदद कर रहे कांग्रेस छाप लोगों को मेरी चुनौती है कि वह ऐसा अखबार लाएं जिसमें मैंने यूनिवर्सिटी को लेकर बयान दिया है।
यही नहीं वो आखिर में लिखते हैं कि मैंने धामी की धूम पेज के इस कुकृत्य की जांच की मांग भी की है। जिस दिन प्रमाणित तौर पर यह सारे तथ्य सामने आ जाएंगे तो मैं, गांधी जी की मूर्ति के सामने बैठकर राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दूंगा।
इस पोस्ट के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत साफ तौर पर भितरघात करने वालों को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं।