बॉन्ड की शर्त तोड़कर गायब हुए डॉक्टर
मामले के अनुसार, सरकार ने इन डॉक्टरों को रियायती फीस पर एमबीबीएस और पीजी कोर्स की पढ़ाई करवाई थी। इसके बदले बॉन्ड में यह शर्त थी कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें निर्धारित समय तक उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देनी होंगी।
लेकिन हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, तैनाती के बाद ये डॉक्टर अपने कार्यस्थल पर नहीं पहुंचे और गायब हो गए। इनमें 28 पीजी और 90 एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर शामिल हैं।
पहले भी भेजा गया था नोटिस
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि पहले भी इन डॉक्टरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया था, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अब अंतिम नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
जवाब न मिलने की स्थिति में डॉक्टरों के गृह जनपद के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और बॉन्ड के तहत राशि की वसूली की जाएगी।
वसूली की राशि ₹20 लाख से ₹2.5 करोड़ तक
कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, बॉन्ड की राशि को ध्यान में रखते हुए इनसे ₹20 लाख से ₹2.5 करोड़ तक की वसूली हो सकती है। यह राशि उनकी पढ़ाई के दौरान सरकार द्वारा दी गई रियायत और बॉन्ड शर्तों के उल्लंघन के अनुसार तय की जाएगी।