यह प्रोसीजर प्रोफेसर डॉ. महेश रमोला के नेतृत्व में किया गया, जिसमें दो मरीजों को बिना सर्जरी पूरी तरह राहत मिली। यह तकनीक पारंपरिक ब्रेन सर्जरी की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित, कम दर्दनाक और तेजी से रिकवरी देने वाली है।
क्या होता है क्रोनिक सबड्यूरल हेमेटोमा (cSDH)?
यह मस्तिष्क से जुड़ी एक आम लेकिन गंभीर स्थिति है, जो अक्सर सिर पर हल्की चोट लगने के हफ्तों बाद विकसित होती है, खासकर बुजुर्गों में। इसमें मस्तिष्क के ऊपरी हिस्से में खून जमा हो जाता है, जिससे सिरदर्द, कमजोरी, भ्रम, बोलने में कठिनाई और बेहोशी जैसे लक्षण उभरते हैं।
पारंपरिक इलाज में खोपड़ी की हड्डी काटकर थक्का निकाला जाता है, लेकिन ऐसे मामलों में 30-50% बार फिर से खून जमने की आशंका रहती है।
MMAE तकनीक क्यों है खास?
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यह मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है – न चीरा, न टांके!
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बारीक कैथेटर द्वारा Middle Meningeal Artery में दवा डालकर रक्तस्राव रोका जाता है।
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बुजुर्ग और ऑपरेशन में असमर्थ मरीजों के लिए विशेष रूप से लाभकारी।
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अस्पताल में भर्ती रहने का समय कम और रिकवरी तेज।
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NEJM जैसी विश्वस्तरीय मेडिकल जर्नल ने भी इसके परिणामों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया है।
उत्तर भारत में गिने-चुने संस्थानों में शामिल हुआ श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल
MMAE प्रोसीजर देश में केवल कुछ ही केंद्रों पर उपलब्ध है जहाँ न्यूरो और एंडोवैस्कुलर तकनीकों की सुविधा एकसाथ है। अब देहरादून, उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के मरीजों को यह सुविधा अपने क्षेत्र में ही उपलब्ध हो सकेगी, जो पहले केवल दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों तक सीमित थी।
इलाज में सक्रिय रही विशेषज्ञों की टीम:
इस जटिल प्रक्रिया को सफल बनाने में निम्नलिखित डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की विशेष भूमिका रही:
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डॉ. महेश रमोला (विभागाध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी)
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डॉ. शिव करण गिल, डॉ. निशित गोविल, डॉ. हरिओम खंडेलवाल
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डॉ. दिविज ध्यानी, डॉ. पंकज अरोड़ा (वरिष्ठ न्यूरोसर्जन), डॉ. विभू शंकर
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श्री रितिश गर्ग, अनुज राणा, भुवन, विपेन, मनीष भट्ट, मुकुल, अंकित आदि
नेतृत्व और सराहना:
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने इस सफलता पर चिकित्सकीय टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, “यह उपलब्धि न सिर्फ अस्पताल बल्कि उत्तराखंड के चिकित्सा क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है।”
निष्कर्ष:
MMAE प्रोसीजर भविष्य की चिकित्सा का उदाहरण है — बिना चीरे, कम जोखिम, तेज राहत। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की यह पहल ना सिर्फ तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाती है, बल्कि पहाड़ी राज्य में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवा के विस्तार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी है।