मिसाल: यहां पहाड़ की बेटी ने थामा स्टेरिंग। सब के लिए मिसाल बनी..
बागेश्वर: देवभूमि उत्तराखंड की बेटियां समाज के हर क्षेत्र में मुकाम हासिल कर रहीं हैं घरेलू कार्य से लेकर देश सेवा हो या परिवार की जिम्मेदारी संभालना हर क्षेत्र में पहाड़ की महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
इसी क्रम में पहाड़ की बेटी ममता ने महिला सशक्तिकरण का उदाहरण देते हुए टैक्सी का स्टेरिंग संभाला। पति के बीमारी के कारण घर पैसा आना बंद हो गया तो गांव और समाज की परवाह किए बगैर वह टैक्सी चलाने लगीं। जिसके बाद वह बागेश्वर की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बन गईं।
जैन करास निवासी 32 वर्षीय सुरेश जोशी स्नातक पास हैं। वह अल्मोड़ा में एक दुकान में काम करते थे। सैलरी कम थी और बैंक से ऋण लेकर टैक्सी खरीद ली और चलाने लगे। लेकिन वह बीमार पड़ गए। लेकिन बैंक की किश्त, घर का खर्च और दवाइयों के लिए पैसा आदि को लेकर उनकी पत्नी 29 वर्षीय ममता परेशान नहीं हुई पति का उपचार कराया और टैक्सी चलाना सीखा। तीन वर्ष की बेटी हरिप्रिया की भी देखभाल की और घर का काम भी निपटाया। ममता ने किसी की परवाह किए बगैर घर खर्च के लिए गाड़ी चलाना सीखा।
वह पिछले माह से अल्मोड़ा- बागेश्वर और जैन-करास तक टैक्सी चला रही हैं। उनके कुशल व्यवहार से उन्हें यात्री भी मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि 2019 में उनका विवाह हुआ। उनका अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा गांव में मायका है। वह 12वीं तक ही पढ़ी हैं। लेकिन उनका जज्बा कम नहीं है। उनके इस कदम से अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी और वह अपने पैरों पर खडी होगीं।