हाईकोर्ट : कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग के फर्जीवाड़े पर सुनवाई ।सरकार से माँगा जवाब
रिपोर्ट/कमल जगाती
नैनीताल/उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुम्भ मेले में कोरोना टैस्टिंग के फर्जीवाड़े में आरोपित मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत व् मलिका पन्त की तरफ से दायर याचिकाओ पर सुनवाई की।
आज याचिकाकर्ताओ की तरफ से न्यायालय में कहा गया कि पुलिस उनको गिरफ्तार करने जा रही है, जबकि उनके द्वारा आई.ओ.को जांच में सम्पूर्ण सहयोग किया गया है।
अभीतक वे आई.ओ.के सामने पाँच बार पेश हो चुके हैं और अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य का निर्णय उनके पक्ष में है, जिसके बाद भी पुलिस उनको गिरफ्तार करने जा रही है। इसलिए न्यायालय के पूर्व के आदेश को बरकरार रखा जाये।
न्यायालय ने मामले को सुनने के बाद उनकी गिरफ्तारी से रोक सम्बन्धित आदेश को आगे न बढाकर सरकार से इसमे 20 अगस्त तक जवाब पेश करने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को निहित की गई है। आज मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की एकलपीठ में हुई। पिछली तिथि को सरकार की तरफ से एक प्रार्थरना पत्र देकर न्यायालय से अनुरोध किया था कि पूर्व के आदेश को रिकॉल किया जाय या वापस लिया जाये क्योंकि जाँच में इनके खिलाफ गम्भीर साक्ष्य मिले है और पुलिस ने इन गम्भीर साक्ष्यों के आधार पर इनके खिलाफ आई.पी.सी.की धारा 467 भी लगा दी है। इसमें सात साल से अधिक की सजा है ।
अब अरनेश कुमार बनाम विहार राज्य का निर्णय इन पर लागू नही होता है। न्यायालय ने सरकार के प्रार्थनापत्र को सुनने के बाद निरस्त कर दिया था। न्यायालय ने जाँच अधिकारी को निर्देश दिए थे कि अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य 2014 में पारित दिशा निर्देशों का पालन करें।
मामले के अनुसार शरद पन्त व मलिका पन्त ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर है। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था उसे अपनी मंजूरी दे दी। अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले की पूरी अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इनके द्वारा अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए। 2021को एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की गयी थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबो द्वारा उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया है। जबकि उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट कराने हेतु कोई रजिस्ट्रेशन व सैम्पल नही दिया गया। कोर्ट ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के आधार पर इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। निर्णय में यह प्रावधान है कि सात साल से कम सजा वाले केसों में गिरफ्तार नही करने व जाँच में सहयोग करने के दिशा निर्देश दिए गए थे। इन्ही दिशा निर्देशो के आधार पर न्यायालय ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक व जाँच में सहयोग करने को कहा था।