15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले स्वतंत्रता दिवस पर कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था।
पाकिस्तान की कोई आक्रामक ख्वाहिश नहीं है और ये देश दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए काम करेगा,
सन १९४८ में भारत से अलग हुआ था पाकिस्तान, जो महज 76 साल में ही कंगाल होने वाला है। विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगभग 25 हजार करोड़ रुपए बचे हैं, जो सिर्फ 3 हफ्ते तक ही चलेगा। पाकिस्तान की जीडीपी के 80% के बराबर कर्ज हो चुका है, जिसे चुकाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा।
आखिर क्यों पाकिस्तानी इस स्थिति में आया चलिए देखते हैं,
पाकिस्तान AID ओर कर्च पर निर्भर देश पहले से रहा हैं, मोहम्मद अली जिन्ना के बाद उनके जैसा प्रधान मंत्री कोई नही आया
और ना ही पाकिस्तान की सेना ने आने दिया, ७६ साल में लगभग 29 प्रधान मंत्री आए लेकिन कोई भी अपने 5 साल पूरे नही कर पाया, जिन्ना के इंतकाल के बाद कुछ समय के लिए पाकिस्तान की कमान सेना को सौंप दी गई थी, अगला प्रधानमंत्री बनने तक पाकिस्तान की डोर पाकिस्तानी सेना के हाथ में थी, लेकिन सेना ने कभी वो डोर किसी और को दी ही नही,जो भी प्रधान मंत्री बने वो सब सेना के अधीन कार्य करते थे,
अमेरिका से AID ओर कर्ज और राहत कार्य के लिए दिया गया धन पाकिस्तानी आर्मी फिदायीन पर खर्च करने लगी, यानी आतंकी गतिविधियों में सारा धन खर्च करने लगी,
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दो ही देश थे जो ताकतवर थे अमेरिका और सोवियत यूनियन, अमेरिका को सोवियत यूनियन से युद्ध करना था, अपने सैनिकों को बिना लड़ाई पर भेजे, फिर अमेरिका ने पाकिस्तान से हाथ मिलाया, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच समझोता हुआ की पाकिस्तान अमेरिका को फिदायीन देगा अमेरिका उसे रुपए देगा, फ़िर पाकिस्तान की सेना ने फिदायीन के लिए ट्रेनिंग सेंटर बनाए, जब दूसरे देश production ओर manufacture के तरीके से अपनी GDP बढ़ा रहे थे तब पाकिस्तान AID ओर कर्ज से ही खुश था , जब अमेरिका और सोवियत यूनियन का युद्ध खत्म हो गया तो अमेरिका ने पक्सितान को फंड देना बंद कर दिया, जिसके कारण पाकिस्तान दिवालिया होने वाला था फिर चीन ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, ओर पाकिस्तान को और कर्ज दिया जिससे थोड़ी देर के लिए पाकिस्तान पटरी पर आया लेकिन अब स्थिति और बदत्तर हो गई हैं, चीन ने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं,
अब हालत ये की चंद दिनों का खर्चा बचा हुआ है पाकिस्तान के पास,