अंतर धार्मिक विवाह और त्रिवेंद्र सरकार का बचकाना पन
– अंतर धार्मिक विवाह बनाम लव जेहाद
– पंकज कपूर
पिछले पखवाड़े अंतर धार्मिक विवाह को प्रोत्साहन देने से संबंधित त्रिवेंद्र सरकार की एक योजना ने ऐसा तूल पकड़ा कि इसकी गाज एक कर्तव्यनिष्ठ अफसर पर गिर गई। हुआ यह कि पिछले दिनों सरकारी टारगेट पूरा करने के लिहाज से समाज कल्याण विभाग के अफसर दीपांकर रियाल ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को एक पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने समाज कल्याण विभाग की एक योजना को क्रियान्वित करने के लिए आदेश जारी किए थे। जिला समाज कल्याण अधिकारी टिहरी के पद पर तैनात दीपक गर्ग ने अपने पत्र में कहा था कि, अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह को प्रोत्साहन करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि तय की गई है, लिहाजा इसके लिए आवेदन मंगवाए जाए।
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है और भाजपा हिंदुत्व की राजनीति करने के लिए लव जिहाद तथा अंतर धार्मिक विवाह का प्रतिकार करती रहती है , लेकिन त्रिवेंद्र सरकार द्वारा इस योजना के बारे में पत्र जारी होते ही यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। अब त्रिवेंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई और त्रिवेंद्र सरकार ने बाकायदा इस पत्र की जांच बिठा दी कि आखिर अधिकारी द्वारा ऐसा पत्र लिखने के पीछे क्या कारण थे? अपनी छवि बचाने के चक्कर में त्रिवेंद्र सरकार ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इसमें उक्त अफसर की कोई गलती नहीं है। बल्कि वह तो सरकारी योजना का ही क्रियान्वयन कर रहा था।
त्रिवेंद्र सरकार ने उक्त अफसर को देहरादून मुख्यालय से अटैच कर दिया। इससे यह साफ पता लगता है कि, त्रिवेंद्र सरकार प्रचंड बहुमत में होने के बावजूद सामाजिक छवि को लेकर कितने नाजुक मोड़ पर है और प्रशासनिक निर्णय लेने की क्षमता कितनी कमजोर है। इसी दौरान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एक निर्णय ने आग में घी का काम किया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उसी दौरान जबरन धर्मांतरण करके विवाह करने पर सख्त सजा दिए जाने का कानून बना डाला। अब इस मामले ने यहां तूल पकड़ लिया कि एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अंतर धार्मिक युवाओं को लेकर सख्त कानून बना रही है वहीं उत्तराखंड सरकार अंतरजातीय तथा अंतर धार्मिक विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए बाकायदा 50,000 रुपये प्रोत्साहन राशि देने की बात कह रही है।
वहीं उत्तराखंड सरकार इस छीछालेदर के बाद इतनी बैकफुट पर आ गई थी कि, अंतर धार्मिक विवाहों से प्रोत्साहन राशि ही खत्म करने की तैयारी कर ली गई। हालांकि उत्तर प्रदेश में केवल जबरन अंतर धार्मिक विवाह के लिए धर्मांतरण करने पर रोक है। केरल हाईकोर्ट ने भी विवाह के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध बताते हुए ऐसे विवाह निरस्त किए हैं। उत्तराखंड में भी आजकल अंतर धार्मिक विवाह बनाम लव जेहाद चर्चा का विषय बन गया है। उत्तराखंड के हिंदूवादी संगठन इस चर्चा की आग में घी डालने का काम कर रहे हैं और बाकायदा लव जेहाद के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। किंतु इन सभी तिकड़म के पीछे उनका खालिश राजनीतिक मकसद ही है।
पिछले 4 सालों में केवल हिंदुत्व के बल पर ही वोटों के ध्रुवीकरण के भरोसे पर त्रिवेंद्र सरकार का खाता लोकप्रिय कामकाज के लिहाज से शून्य ही नहीं बल्कि कई डिग्री माइनस में है। कामकाज के मोर्चे पर त्रिवेंद्र सरकार की तुलना बाकायदा घंडियाल से होने लगी है। वैसे भी सरकार चुनावी वर्ष में हिंदू वोटों को नाराज करने का धर्मसंकट मोल नहीं ले सकती इसलिए सरकारी योजनाओं को कर्तव्य निष्ठा से पूरा करने वाले एक साफ छवि के अवसर दीपांकर घिडियाल पर इसकी जांच गिर गई। जबकि उनका ऐसा कोई मकसद नहीं था।
लेकिन त्रिवेंद्र सरकार प्रचंड बहुमत के बावजूद एक तो जनता के विश्वास के पैमाने पर कमजोर हो चली है, वहीं दूसरी तरफ अपने विधायकों और मंत्रियों के असंतोष के तले भी दबी हुई है। यही कारण है कि ईमानदार अफसर एक-एक करके हतोत्साहित किए जा रहे हैं। हाल ही में रेखा आर्य के प्रकरण में भी ईमानदार अफसर वी. षणमुगम को भी कोई गलती ना होते हुए भी कई विभागों से हाथ धोना पड़ा। वही दीपांकर घिडियाल के साथ भी यही हुआ है। यही कारण है कि काम करने वाले अफसर दूसरे राज्यों में प्रतिनियुक्तिओं में अपना जुगाड़ तलाश रहे हैं।