कुम्भ बना लूट का मेला। करीबियों को पहुंचाया जा रहा है लाभ
– अधिकारी व ठेकेदार की सांठ-गांठ। डीएम ने नियमों को ताक पर रख चहेते को पहुंचाया लाभ
देहरादून। हरिद्वार के कुंभ मेला कार्यों की निविदा के मूल्यांकन में पेयजल विभाग की बड़ी हेरा फेरी सामने आई है। ठेकेदार क्लास-B के पंजीकरण ठेकेदार को क्लास -A पंजीकरण ठेकेदार का काम सौंप दिया। इनफील्ट्रेशन वेल के निर्माण हेतु ठेकेदार के पंजीकरण की श्रेणी क्लास A में रखी गई। मगर जिस ठेकेदार की कंपनी (गोयल एन्ड सन्स) को यह काम मिला। वह क्लास-B के ठेकेदार है जबकि निविदा के नियमों में साफ लिखा है कि, केवल 150 लाख के ही कार्य क्लास B को मिलेंगे।
कुम्भ कार्यो का टेंडर 2 करोड़ का
बतादें कि, निविदा के हिसाब से टेंडर सिर्फ क्लास-A कंपनी को ही मिल सकता था। मगर विभागीय सांठगांठ ने विशिष्ट ठेकेदार को यह टेंडर नियमों के विरुद्ध जा कर करा दिया। जो कि नियमावली-2017 की धारा-20 के उपखण्ड 16 (ब) का उलंघन है। अब जिसका खुलासा 1 आरटीआई में हुआ है कि, जिस कंपनी को यह टेंडर मिला था उस ठेकेदार का क्लास B श्रेणी में पंजीकरण हुआ है जबकि केवल श्रेणी A के ठेकेदार ही इस श्रेणी के टेंडर भर सकते है।
ऐसा प्रतीत होता है कि, ठेकेदार व पेयजल की मिलीभगत से जान बूझ कर उसी ठेकेदार को निगम ने टेंडर दिया जिसे वो देना चाहते थे। जबकि नियमों के हिसाब से वो ठेकेदार टेंडर ही नहीं भर सकता था। पेजल निगम के 4 लोगों के संरक्षण में इस टेंडर को पास किया गया जिसमें एलएम कर्नाटक, (अध्यक्ष) नवनीत नेगी (सदस्य) मौ0 मीसम् (सदस्य सचिव) कर्ण सिंह (सदस्य) थे।
सूत्रों के मुताबित उन्हें यह टेंडर देने की सिफारिश मेला अधिकारी दीपक रावत ने की है। दीपक रावत (गोयल एन्ड सन्स) ठेकेदार के काफी करीबी माने जाते है। दीपक रावत ने ही टेंडर में भूमि पूजन का उद्धघाटन कराया। उसके बाद कई बार इसकी शिकायत दीपक रावत के आफिस में भी लिखित रूप से दी गई मगर आज तक इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। पूरे प्रकरण में अधिकारी , पेयजल निगम व ठेकेदार की सांठगांठ को साफ देखा जा सकता है। किस प्रकार से मन मुताबित नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को ठेका दिया जाता है।