बड़ी खबर: 200 करोड़ के गबन में फसी पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार की पत्नी की कंपनी।
देहरादून: करीब 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग में फंसी पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार की पत्नी की कंपनी आरोप है। कि वर्ष 2017 से 2020 तक कंपनी में 200 करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि एफडी के रूप में जमा की गई। अलग-अलग नामों से खुले इन खातों की पड़ताल की गई तो पता चला कि इनमें से कई लोग मर चुके हैं।
करीब 200 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में देहरादून की एक कंपनी की जांच के आदेश दिए गए हैं। सोशल म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड नाम की इस कंपनी में प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार की पत्नी वर्ष 2017 से 2020 तक डायरेक्टर थीं। वर्तमान में भी उनके रिश्तेदार ही इसमें डायरेक्टर बताए जा रहे हैं
आरोप है कि इस अवधि में कंपनी में फर्जी तरीके से हजारों लोगों के नाम से आरडी-एफडी में रुपया जमा कर काले धन को वैध किया गया। शासन के निर्देश पर इस कंपनी की गतिविधियों की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी गई है।
इस मामले में विधायक खानपुर उमेश कुमार ने शासन से शिकायत की थी। इस कंपनी का मुख्यालय देहरादून-हरिद्वार बाईपास के ब्राह्मणवाला में है। यह कंपनी आरडी, एफडी, बचत खाते आदि वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है।
आरोप है कि वर्ष 2017 से 2020 तक कंपनी में 200 करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि एफडी के रूप में जमा की गई। अलग-अलग नामों से खुले इन खातों की पड़ताल की गई तो पता चला कि इनमें से कई लोग मर चुके हैं। वहीं, कुछ लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि उनके नाम से एफडी चल रही है।
गतिविधियों की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी
विधायक का कहना है कि जब इस मामले को उठाया गया तो पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार ने अपनी पत्नी का इस्तीफा दिलवा दिया। पिछले दिनों शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने के निर्देश दिए थे। पुलिस मुख्यालय ने कंपनी की गतिविधियों की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी है। इस संबंध में एडीजी कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन की ओर से पत्र जारी किया गया है। पुलिस मुख्यालय ने जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट मांगी है।
40 से 50 हजार लोगों की एफडी, आरडी
शुरुआती पड़ताल में पता चला है कि इस कंपनी में करीब 40 से 50 हजार लोगों के नाम पर आरडी और एफडी के खाते खोले गए हैं। इन खातों में निवेश दिखाकर बहुत से लोगों ने काले धन को वैध किया। अब आर्थिक अपराध शाखा की जांच में ही सारी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।