Leopard attack : सर्दियों में धुंध और कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाती है जिसका फायदा गुलदार पूरी तरह उठाता है । पहाड़ी क्षेत्रों में गुलदार सर्दियों में आवाजाही जल्द ही बंद होने की वजह से बेखौफ होकर घूमने लगता है और गांव की सीमाओं के अंदर घुसकर छोटे-छोटे जानवरों और बच्चों पर हमला करता है।
उत्तराखंड में गुलदारो की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका परिणाम आए दिन लोगों और और जानवरों की जान पर जोखिम भी बढ़ता जा रहा है, आए दिन गुलदार के हमले की खबरें सुर्खियों पर बनी हुई है ताजा मामला देहरादून का है जहां 20 दिन में गुलदार के दो हमले हो चुके हैं जिसमें एक बच्चे की जान चली गई और एक को गुलदार के शिकंजे से बचा लिया गया है।
डीएफओ देहरादून नीतीशमणि त्रिपाठी बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दियों में धुंध और कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है जिसका पूरा लाभ गुलदार उठाता है और बेखौफ होकर हमलावर हो जाता है।
वाइल्डलाइफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर जीएस कुसारिया ने जानकारी दी की सर्दियों में गुलदार के हमला करने की समय अवधि भी अधिक हो जाती है जहां वह गर्मियों में लगभग 7:00 बजे से 9:00 बजे तक हमला करता है वही वह सर्दियों में 4:00 बजे से 9:00 बजे तक हमला करता है, क्योंकि सर्दियों में जल्दी ही सन्नाटा पसरा जाता है, सर्दियों में समय ज्यादा होने की वजह से गुलदार के हमले भी अधिक बढ़ जाते हैं। गुलदार अक्सर बछड़े और कुत्तों पर ज्यादा हमलावर होता है इसलिए वह उनकी मौजूदगी उन्हें सूंघकर पता लगाता है लेकिन जब रास्ते में उसे कोई इंसान या बच्चे मिल जाते हैं तो उन पर भी हमलावर हो जाता है।
इसीलिए सावधानी बरते और जंगल के इलाकों में अकेले ना जाएं, जब जरूरी काम हो तभी जाएं और कहीं भी जा रहे हो तो अपने अकेले जाने के बजाय ग्रुप के साथ जाएं। बच्चों को आंगन में ज्यादा रात तक खेलने ना दे और हो सके तो शाम होने से पहले ही घरों में चल जाए।