तेज धूप में बैलों की जगह खेत में हल लगाती महिलाऐं
रिपोर्ट: कमल जगाती
नैनीताल:- उत्तराखंड के पहाड़ों से बैल की तरह महिलाओं के हल जोतने का एक वीडियो सामने आने के बाद लोगों को पहाड़ों के कठोर जीवन का अंदाजा हो गया होगा । दर्द भरे इस वीडियो में दो महिलाएं तेज धूप में खेत जोत रही हैं ।
बागेश्वर जिले में हिमालय से सटे शामा गांव में महिलाओं का जीवन किसी पहाड़ से कम नही है। खेती के लिए भूमि को योग्य बनाने के लिए महिलाएं खेत जोतती हैं । यहां की महिलाएं पुरुषों की गैरमौजूदगी में कठोर परिश्रम करने से भी पीछे नही हटती हैं। गोगिना क्षेत्र के रिठकुला और रातिर केटी समेत अन्य गांवों की महिलाऐं जंगल से लकड़ी का भारी बोझ लाने और खाना बनाने से लेकर खेती बाड़ी तक करने में पीछे नहीं हैं। इन ग्रामीणों के पूर्वजों ने पहाड़ को काटकर छोटे छोटे खेत बनाए जिसमें फसल के उत्पादन के लिए आज भी हर परिवार जुटा रहता है। गरीबी के कारण ज्यादातर परिवार खुद ही खेतों को बैलों की तरह जोतने में लगे रहते हैं, ताकि उन्हें अनाज मिल सके। 21वीं सदी में जहां देश बुलेट ट्रेन चलाने की सोच रहा है, वहीं चीन की सीमा से लगे इस क्षेत्र के लोगों का ये हाल है।
बागेश्वर जिले में कपकोट से लगभग 30 कि.मी.दूर शामा क्षेत्र की सब्जी और फल उत्पादन सबसे उम्दा माना जाता है । यहां की कीवी और आलू की मांग पूरे देश में है । यहां के किसानों के काम की हर जगह तारीफ होती है, लेकिन यहां सरकारी सुविधाओं के नाम पर कोई भी मदद नहीं मिली है।
तस्वीरें महिलाओ के कठोर परिश्रम को साफ साफ बयां कर रही हैं। गोगिना की ग्राम प्रधान शीतल रौतेला का कहना है कि, गरीबी और साधन की कमी की वजह से लोगों को मजबूरी में ये सब करने को मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि साधन होते तो कोई भी इस काम क्यों करता। ये दुर्भाग्य है कि, दूरस्त क्षेत्र होने और संचार की व्यवस्था नहीं होने से लोग सरकारी योजनाओं का लाभ नही ले पाते हैं।