प्राकृतिक आपदाओं में वाहनों पर नहीं मिलता सरकारी मुआवजा
उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पर्यटन राज्यों में हर साल हजारों वाहन आपदा की चपेट में आते हैं। कहीं वाहनों पर पहाड़ से बोल्डर गिरते हैं, तो कहीं खड़े वाहनों को मलबा बहा ले जाता है। कई वाहन नदी में समा जाते हैं या पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं।
लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, सरकारी राहत राशि केवल जान-माल, घर, खेत और पशुओं के लिए होती है। क्षतिग्रस्त वाहनों पर किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाता।
➡️ आनंद स्वरूप, अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि भारत सरकार की आपदा राहत नीति में वाहनों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विभाग इनका डाटा तक कलेक्ट नहीं करता।
इंश्योरेंस ही है प्राकृतिक आपदा में सहारा
अगर आपका वाहन प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त होता है, तो उसका एकमात्र सहारा इंश्योरेंस है। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के रीजनल मैनेजर मोतीराम ने बताया कि यदि वाहन का इंश्योरेंस, फिटनेस और टैक्सी परमिट (कमर्शियल गाड़ियों के लिए) अपडेटेड है तो वाहन स्वामी को इंश्योरेंस क्लेम मिल सकता है।
👉 लेकिन डॉक्यूमेंट अधूरे होने या गैर-अनुमोदित जगह (ऑफ-रोड) पर वाहन ले जाने की स्थिति में क्लेम मिलने में मुश्किलें हो सकती हैं।
इंश्योरेंस क्लेम की प्रक्रिया आपदा में होती है आसान
मोतीराम ने बताया कि आपदा की स्थिति में बीमा कंपनियां सामान्य दिनों की तुलना में तेजी से क्लेम सेटलमेंट करती हैं।
➡️ वाहन स्वामी को तुरंत इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना चाहिए।
➡️ यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बीमा पॉलिसी में Natural Calamity Cover शामिल हो।
➡️ वाहन का पूरा डाक्यूमेंटेशन होना अनिवार्य है।
आरटीओ भी देता है राहत – टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट
देहरादून के आरटीओ प्रशासनिक संदीप सैनी ने बताया कि:
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यदि निजी वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाए तो रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवाने के बाद ही बीमा क्लेम लिया जा सकता है।
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कमर्शियल वाहनों के लिए, आपदा प्रभावित रिपोर्ट या पुलिस रिपोर्ट के आधार पर टैक्स में छूट दी जाती है।
हालांकि, ऑफ-रोड (कच्चे रास्तों) पर हुई दुर्घटनाओं में वाहन स्वामियों को इंश्योरेंस क्लेम में परेशानी आती है।
प्राकृतिक आपदा संभावित क्षेत्रों में क्यों जरूरी है बीमा?
रीजनल मैनेजर मोतीराम का कहना है कि उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को न सिर्फ वाहनों बल्कि अपनी संपत्ति, कृषि और महंगे उपकरणों का भी इंश्योरेंस कराना चाहिए। इससे आपदा के आर्थिक प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
सरकारी नियमों के मुताबिक प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त वाहनों के लिए कोई राहत राशि नहीं दी जाती। ऐसे में इंश्योरेंस ही एकमात्र सुरक्षा कवच है। यदि आप आपदा संभावित क्षेत्र में रहते हैं या वहां यात्रा करने जा रहे हैं, तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपके वाहन का इंश्योरेंस वैध और अपडेटेड है।