एनसीसी को टिहरी से पौड़ी शिफ्ट करने का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को खून से लिखा पत्र भेजने के बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर तैरने लगा है।
दिल्ली में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लपक कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से इसकी शिकायत करने का मन बना लिया है।
रिपोर्ट-विजय रावत
गौरतलब है कि इस मुद्दे पर एनसीसी बचाओ समिति हिंडोला खाल देवप्रयाग तथा पीढ़ी उत्तरकाशी जन विकास परिषद के सदस्य पहले ही राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात करके उन्हें 42 दिन के क्रमिक अनशन और आंदोलन के बारे में बता चुके हैं जिसको लेकर बलूनी भी चिंता जता चुके हैं दूसरा तथ्य यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक है और वर्तमान में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इन दोनों दिग्गजों से नहीं पटती जाहिर है कि यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी जिद नहीं छोड़ी तो यह दोनों दिग्गजों एनसीसी का फैसला आंदोलनकारियों के पक्ष में देकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को सियासी मात दे सकते हैं। वक्त और न्याय का तकाजा भी यही है कि खामखा टिहरी में जन भावनाओं को और न भड़काया जाए। लेकिन जब सर पर सत्ता का हैंगओवर सवार हो तो ऐसी ही स्थितियां पैदा हो जाती हैं।
गौरतलब है कि एक बार जब एनसीसी का शिलान्यास टिहरी में हो गया है तो उसे पौड़ी ले जाने की जिद पर अड़े रहना सीएम त्रिवेंद्र सिंह की हठधर्मिता और ऐंठ का चरम है।
आंदोलनकारी एक माह से भी अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन जन भावनाओं की परवाह न करना त्रिवेंद्र सिंह रावत की संवेदनहीनता का सबसे बड़ा परिचायक बनता जा रहा है।
एनसीसी आंदोलनकारियों का कहना है कि वे टिहरी के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार की आवाज को देश के मुखिया के पास भी भेज रहे हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि एनसीसी का शिलान्यास पौड़ी गढ़वाल में ही कहीं होता तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन यदि एक बार जब टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग के श्रीकोट में एनसीसी का शिलान्यास हो गया तो फिर इसको पौड़ी क्यों ले जाया जा रहा है ! आखिर टिहरी का क्या गुनाह है !! जाहिर है इसके जबाब मे सीएम के पास सत्ता की अकड़ और धौंस के अलावा और कोई तर्क नही है।यही अकड़ इस राज्य को पांच साल मे पंद्रह साल पीछे धकेल देगी। यह जनता के साथ हद दर्जे का जाहिलपना और अहमकपना है।
आंदोलनकारियों ने खून से लिखे पत्र में सवाल उठाया है कि जब पौड़ी में एनआईटी और मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में बनाया गया तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब एनसीसी टिहरी को दी गई थी तो फिर अब उसे शिफ्टिंग करने का क्या औचित्य है ! आंदोलनकारियों का कहना है कि वे लोग 9 जुलाई 2019 से क्रमिक अनशन पर बैठे हैं, आंदोलन कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के संदेश सबका साथ सबका विकास का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अवहेलना कर रहे हैं। आंदोलनकारियों ने अमित शाह से निवेदन किया है कि वे टिहरी जनपद की भावनाओं के अनुरूप एनसीसी की स्थापना पहले से निर्धारित स्थान श्री कोर्ट मालदा में ही कराने के लिए निर्देश जारी करेंगे।
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