पहाड़वासियों में नहीं लॉकडाउन का कोई असर। कहीं शराब तो कहीं क्रिकेट में जुटे लोग
चमोली। राज्य में आगामी 14 अप्रैल तक लॉक डाउन का आदेश सरकार ने दिया है और जो कोई भी व्यक्ति नियमों का उलंघन करते नजर आए उस पर संबंधित धारा के अंतर्गत कार्यवाही करने का निर्देश भी प्रशासन को सरकार ने दिया है। पूर्व में मुख्य सचिव उत्तराखंड ने सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि, यदि कोई व्यक्ति लॉकडाउन का पालन नहीं करेगा या उलंघन करता है तो उसका जिम्मेदार डीएम व एसएसपी को ठहराया जाएगा।
लेकिन जब सरकार ही प्रदेश में नियमों की प्रयोगशाला बन जाएगी तो प्रदेश वासी और क्या करेंगे? बता दें कि, पहाड़ों में लॉकडाउन के नियमों का पालन करवाने वाले ही नियमों का उलंघन कर रहें है, बीते दिन सोमवार को टिहरी जनपद के विकासखंड प्रताप नगर के थाना क्षेत्र लंबगांव के थानाध्यक्ष ही प्रधानमंत्री मोदी के 21 दिन के लाॅकडाउन की हाथ जोड़कर की गई अपील को सरेआम फजीहत करते नजर आए। एक वीडियो में थानाध्यक्ष कहते दिखाई दिए कि, तमाम सुनने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगो के लिए यह जानकारी है कि, कल यानी 31 मार्च से मोबाइल व स्टेशनरी की दुकानें सुबह 10 से एक बजे तक खोलने की हम इजाजत डें रहे है। जबकि विकास खंड प्रताप नगर के अंतर्गत लगभग 160 से ज्यादा गांव आते हैं और इन सभी के लिए एक मात्र बाजार लंबगाव लगता है। जहाँ बाजार तंग होने के कारण आम दिनो में ही लगभग हर दिन लोगों के दबाव में जाम लगा रहता है। गौरतलब है कि, इसकी जानकारी प्रताप नगर के जिलाधिकारी को भी नहीं थी।
वहीं आज हमें यह जानकारी प्राप्त हुई कि चमोली के लोगों को सख्ताई बरतने वाली मुख्यमंत्री की सोशल डिस्टेंस वाली अपील का गांव के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कहीं पर तो क्रिकेट खेला जा रहा है तो कही लोग भीड़ में ही चल रहे। सिर्फ इतना ही नहीं कालेश्वर मर्छवादी गांव में धड़ल्ले से अवैध रूप से कच्ची शराब बिक रही है। पतवाड़ी क्षेत्र जिलासु के रास्ते से लोग बड़ी तादाद में शराब पीने भी जा रहे है। गांव में कोरोना के मद्देनजर लॉक डाउन का कोई असर नही दिख रहा है, न ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेशों का जिलों में कोई पालन कर रहा है। ठेकेदार अपने लेबरों को राशन मुहैया कराने में पीछे हट गए है। सरकार द्वारा कोरोना की इतनी ब्रांडिंग के बाद भी जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। साथ ही पुलिस और राजस्व पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी बैठी है। उक्त मामला चमोली जिले के पोखरी, कर्णप्रयाग के अलावा जिलासु तहसील का है।