खास रिपोर्ट: हरिद्वार लोस सीट पर अब तक कोई निर्दलीय नही हुआ विजय..
डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। साल 1977 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई हरिद्वार लोकसभा सीट में निर्दल प्रत्याशियों ने जोर आजमाइश खूब की, लेकिन अभी तक किसी को सफलता नहीं मिल सकी।अभी तक यहां 80 स्वतंत्र उम्मीदवार किस्मत आजमा चुके हैं। इनमें से अधिकतर को वोट के लिए भी तरसना पड़ा।
हरिद्वार सीट पर 1977 में परिसीमन के बाद प्रथम बार हुए आम चुनाव में चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनावी अखाड़े में ताल ठोंकी थी। इस चुनाव में निर्दयली उम्मीदवार राम सिंह 11,629 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। जबकि निर्दयली बलवंत सिंह को 6964, प्रेम चंद को 4906 और गंगा शरन को 1480 वोट मिले थे।
इसके बाद 1980 में एक निर्दल उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई। इनमें डाल चंद छाछर 4833 मत हासिल कर चौथे स्थान पर रहे। वर्ष 1984 में 11 निर्दल चुनाव लड़े। इनमें रूप सिंह 10,990 मतों के साथ पांचवे, पतलु राम 2724 मतों के साथ सातवे, जनेश्वर प्रसाद 2404 मतों के साथ आठवें, फूल चंद 2238 मतों के साथ नौवें, अत्तर सिंह 2185 मतों के साथ दसवें, पलटू उर्फ फतेह 2007 मतों के साथ ग्यारहवें, राधे श्याम सिंह 1676 मतों के साथ बारहवें, भगवान दास 1387 मतों के साथ 13वें, सोम प्रकाश 931 मतों के साथ 14वें, मिथन सिंह 492 मतों के साथ 15वें और मदन पल 358 मतों के साथ 16वें पायदान पर रहे।
साल 1989 में एक निर्दल मैदान में उतरा। इसमें देवराज 4180 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहा। 1991 में सात निर्दलीयों में से 2075 मत पाने वाले गोपाल सिंह सातवें नंबर पर रहे। जबकि देशराज, प्रदीप कुमार, भगवान दास, सोहनलाल, डाल चंद छाछर और मुकेश को क्रमश: 1861, 1504, 1204, 909, 855 और 511 वोट मिले थे।
1996 में 16 निर्दलीय प्रत्याशियों ने दम दिखाने की कोशिश की। इनमें से रूपचंद 6863 मत पाकर छठे नंबर पर सिमट गए। निर्दल बृजपल को 3889, चरण सिंह को 1991, ईसाम सिंह 1616, मुवासीराम 1434, जोतीराम 941, मांनगा 672, ओम सिंह कपूर 484, हुनर 430, धर्मसिंह को 376, ओमपाल 291, केवलराम 268, भगवान दास 262, लेखराम 172, प्रीतम को 145 मत मिले। वहीं महिंदर सिंह लेमियन 127 वोटों के साथ 24वें स्थान पर रहे।
1998 में पांच निर्दल प्रत्याशी ने किस्मत आजमाई। इनमें सत्यपाल पाल 6395 मतों के साथ पांचवे नंबर पर रहे। ओमप्रकाश 2464, रूप चंद 983, जितेंद्र कुमार को 434 और बृजेश कुमार 276 मतों के साथ अंतिम स्थान पर रहे। साल 1999 में रेखा बाल्मिकी 8607 वोटों के साथ पांचवे नंबर पर रही और राजबीर कोरी 4250 मतों के साथ आठवें, सुरेंद्र 1603 मतों के साथ 11वे और हरपाल सिंह 659 मतों के साथ 12वें नंबर पर रहे।
वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद प्रदेश में प्रथम बार साल 2004 में हुए चुनाव में तीन स्वतंत्र उम्मीदवार मैदान में आमने-सामने थे। इसमें विनोद कुमार 3983 मतों के साथ छठे, बाबूराम 1531 वोटों के साथ आठवें और घसीटा 1488 वोटों के साथ नौवें स्थान पर रहे।
सांसद बनने की हसरत में साल 2009 में बारहा, 2014 में ग्यारहा और 2019 में पांच निर्दलीय उम्मीदवारों ने महासमर में किस्मत आजमाई, लेकिन कोई भी टॉप फाइव तक में जगह नहीं बना सका।
2009 में रणधीर भारत को 3877 मत मिले। 2014 में राजिया बेग को 3741 वोट और 2019 में ठाकुर मनीष सिंह ने 2913 मत हासिल किए। बीते तीन चुनाव ने कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी पांचवें स्थान तक भी नहीं पहुंच पाया। हरिद्वार सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार जीतना तो दूर अधिकतर तो जमानत भी नहीं बचा पाए।