अब हजार रूपये लेने के लिए श्रमिको को खर्च करने होंगे 5 हजार रुपये
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। प्रदेश सरकार की ओर से श्रमिकों को एक-एक हजार की दूसरी राहत राशि उनके खाते में भेजी जा रही है, लेकिन कोटद्वार में करीब 4,300 श्रमिकों के खाते में अभी तक पहली राहत राशि ही नहीं पहुंच पायी है। विभाग अपनी लापरवाही छुपाने की बजाय अभी तक श्रमिकों को राहत राशि नहीं भेज पाने के लिये उन्हें ही दोषी मान रहा है। विभाग का कहना है कि, उन्होंने अपने बैंक एकाउन्ट की डिटेल नहीं दी है। इसके लिये श्रमिक अपनी बैंक पास बुक की फोटो स्टेट जमा कराने के लिए श्रम विभाग के कार्यालय में जा रहे है, लेकिन विभागीय कर्मचारी ने श्रमिकों से फोटो स्टेट लेने से इंकार कर दिया और उन्हें व्हाट्सएप्प के माध्यम से बैंक पास बुक और श्रमिक कार्ड की फोटो कापी भेजने को कहा गया। अधिकांश श्रमिकों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, ऐसे में श्रमिकों को एक हजार के लिए पहले पांच हजार रूपये का स्मार्ट फोन खरीदना पड़ेगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, श्रम विभाग श्रमिकों के प्रति कितना गंभीर है।
उत्तराखण्ड श्रम विभाग द्वारा मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार कोरोना वायरस कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी के बचाव को प्रधानमंत्री द्वारा लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन से निपटने के लिये लगभग एक महीना बीत जाने के बाद भी अभी तक कोटद्वार के लगभग 4300 से अधिक श्रमिकों के खाते में राहत राशि नहीं डाली जा सकी है। कोटद्वार में श्रम विभाग में पंजीकृत 28815 श्रमिक है। डेढ माह बीत जाने के बावजूद भी अभी तक श्रमिकों को राहत राशि नहीं मिल पाई है। उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से प्रत्येक श्रमिक के दो माह तक एक-एक हजार रूपये भेजे जाने थे। लेकिन कोटद्वार में श्रम विभाग के पास श्रमिकों का ऑनलाइन डाटा न होने के कारण बैंक की जानकारी न होने से लगभग 4300 श्रमिकों को सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
श्रमिकों का कहना है कि, वह जौनपुर स्थित श्रम विभाग के कार्यालय में बैंक पास बुक और श्रम कार्ड की फोटो स्टेट जमा करने गये थे, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने उन्हें वापस भेज दिया। उन्होंने बताया कि, अधिकारियों का कहना है कि, बैंक पास बुक और श्रम कार्ड की फोटो व्हाटसअप के माध्यम से भेजे। श्रमिकों ने बताया कि, उनके पास तो स्मार्ट फोन है ही नहीं, फिर वह कैसे विभाग के पास अपने बैंक खाते और श्रमिक कार्ड की जानकारी पहुंचायेगें। एक ओर तो सरकार श्रमिकों के कल्याण की बात कर रही है, वहीं श्रमिकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण काम भी बंद हो गया है, जो जमा पूंजी थी वह भी समाप्त हो गई है। ऐसे में परिवार के भरण पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है।
ऐसी स्थिति में विभाग की कार्यप्रणाली से तो लगता है कि, श्रमिकों को एक हजार रूपये के लिए पहले पांच हजार रूपये का स्मार्ट फोन लेना पड़ेगा। जबकि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं है। लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक प्रभावित मजदूर वर्ग हुआ है। सरकार मजदूरों के लिए योजना तो बना रही है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण मजदूरों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
क्या कहते है लेबर इंस्पेक्टर
कोटद्वार श्रम विभाग के लेबर इंस्पेक्टर वीपी जुयाल का कहना है कि, विभाग सभी श्रमिकों के खाते में राहत राशि भेजने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि, अभी उनके संज्ञान में नहीं था कि, श्रमिकों को कार्यालय से वापस भेजा जा रहा है। कार्यालय के बाहर एक बॉक्स लगाया जायेगा, जिसमें श्रमिक बैंक पास बुक श्रमिक कार्ड के दोनों तरफ की फोटो स्टेट कॉपी डालेगें। उन्होंने बताया कि, अभी तक कोटद्वार में करीब 23,700 श्रमिकों के खाते में दो-दो हजार रूपये की राहत राशि भेजी जा चुकी है। अभी तक सात सौ श्रमिकों ने व्हाटसअप के माध्यम से बैंक और श्रमिक कार्ड की जानकारी उपलब्ध कराई है।