2 अक्टूबर 2014 को मोदी जी द्वारा लाल किले से स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच मुक्त भारत की मुहिम की शुरुआत की गई। मोदी जी द्वारा इस मुहिम को पूरा करने का लक्ष्य 5 साल का यानी 2 अक्टूबर 2019 का रखा गया और इसे दो श्रेणियों में तब्दील कर दिया जाता है खुले में शौच मुक्त भारत (ग्रामीण) और खुले में शौच मुक्त भारत (शहरी)। देखते ही देखते 31 मई 2017 को उत्तराखंड ODF यानी ओपन डेफिकेशन फ्री स्टेट वाले राज्यों में शामिल हो जाता है यानी उत्तराखंड अब पूर्णता खुले में शौच मुक्त हो चुका था। जगह-जगह खुले में शौच मुक्त गांव के बोर्ड भी लगाए जा चुके थे।
मगर वास्तविकता इसकी एकदम भिन्न है प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने जो झूठे आंकड़े खुले में शौच मुक्त भारत के पेश किये ,उसकी पोल तब खुली जब केग की रिपोर्ट सामने आई ।
केग ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि उत्तराखंड सरकार के यह आंकड़े पूरी तरह गलत है। उत्तराखंड अभी भी शौच मुक्त नहीं हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य को केंद्र की ओर से जारी किए गए फंड के 15 दिन के भीतर योजना को अग्रसर करने लिए राज्य सरकार को अपने 10 प्रतिशत अंश को भी साथ ही साथ जारी करना था यानी 10 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार को इस योजना में अपना लगाना था।
मगर रिपोर्ट में पाया गया कि साल 2014 से 2017 के बीच भारत सरकार ने 306.58 करोड़ रुपए जारी किए जिसमें से राज्य सरकार को 34.06 करोड रुपए जारी करने थे इसमें अप्रैल 2017 तक राज्य सरकार ने केवल 23.48 करोड़ रुपए का ही फंड जारी किया और बाकी 10.58 करोड रुपए जारी नहीं किए क्योंकि 1,79,868 परिवारों को परियोजना में शामिल ही नहीं किया गया। राज्य सरकार के मुताबित ऐसे कोई परिवार ही नही थे। इसके साथ कैग ने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पिछले साल की गई प्रदेश की खुले में शौच मुक्त ODF की घोषणा सही नहीं थी और भौतिक सत्यापन कुल शौचालय में से आधे का होना पाया गया ,जिसमे कुछ निर्माणाधीन थे।
यह तथ्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नई रिपोर्ट में उजागर हुआ रिपोर्ट में पाया गया कि इस योजना में वित्तीय प्रबंधन भी अपर्याप्त था क्योंकि सरकार द्वारा 2016-17 के दौरान 10.58 करोड रुपए का अपना हिस्सा जारी नहीं किया गया । इससे साबित हुआ कि उत्तराखंड के 13 जिले 95 ब्लॉक 7256 ग्राम पंचायतें 15754 खुले में शौच मुक्त के दावे पूर्णता झूठे थे
2 अक्टूबर 2019 मैं प्रधानमंत्री के द्वारा साबरमती आश्रम में दिया गया भाषण जिसमें भारत को ओडीएफ वाले देशों में शामिल होने की बात कही गयी।
यानी भारत पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त हो गया है यह वादे अपने-आप में हास्यपद है प्रधानमंत्री का कितना बड़ा झूठ देश के सामने रखा गया इसमें कोई दो राय नहीं है । जनता को झूठे सरकारी आंकड़े पेश करके गुमराह किया जा रहा है सरकार के अनुसार अब तक 10 करोड से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण हो चुका है मगर ग्रामीणों की स्थिति देखें तो आज भी ग्रामीण शौच के लिए जंगलों में जाने के लिए मजबूर हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब त्रिवेंद्र रावत से खुले में शौच मुक्त भारत के झूठे आंकड़े पेश करने की बात कही गई तो त्रिवेंद्र सिंह रावत से कोई जवाब नहीं बना। वो कैग की रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का ही आरोप लगाने लगे। जनता के विश्वास पर खड़ी की गई सरकार ही जब गलत सरकारी आंकड़े पेश करने लगे तो आम आदमी की क्या बिसात रह जाती है कि वह सरकार से सीधे सवाल पूछ सकें।