राजनीतिक संगठनों ने किया मुसलमानों को भ्रमित करने का काम
देहरादून। कोरोना टीकाकरण को लेकर समाज को जागरूक करने आए ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद साजिद रशीदी ने मुस्लिम समाज को भाजपा से जुडने की अपील कर सबको चौका दिया है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से प्रेस क्लब में कोरोना टीकाकरण जागरूकता को एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद साजिद रशीदी ने कहा कि कोरोना टीकाकरण को लेकर गलतफहमी का शिकार नहीं होना चाहिए।
कोरोना एक बीमारी है और इस बीमारी से बचाव की जो गाइडलाइन विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं सरकार की ओर से बताई गई है उसका पालन करना चाहिए, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद साहब के जमाने में भी जब कोढ़ की बीमारी आई तो कहा गया कि इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति से दूर रहा जाए।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और संगठनों ने भोले-भाले मुसलमानों को भ्रमित करने का काम किया। उन्होने कहा कि कोरोना वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित है। इसके लगाए जाने से किसी प्रकार की कोई भी हानि नहीं होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि हम मुसलमान अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरते हैं। और अपने इस प्यारे मुल्क भारत से प्यार करते हैं, क्योंकि हमारे पास पाकिस्तान जाने का भी अवसर था लेकिन हमने भारत को चुना यहां की संस्कृति सभ्यता अनेकता में एकता का जीता जागता उदाहरण है।
उन्होंने इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि पड़ोसियों व जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने आज के हालातों को देखते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों से भाजपा में शामिल होने की पैरवी की।
इस दौरान भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री हाजी सलीम अहमद, प्रदेश उपाध्यक्ष मास्टर शकील अहमद, प्रदेश महामंत्री गुलफाम शेख, इस्लामिया स्कूल अजबपुर के अध्यक्ष बिलाल अहमद व कारी मोहसिन आदि मौजूद रहे।
समाज की जरूरतों को समझे मुस्लिम ।इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद साजिद रशीदी ने कहा कि हमारा धर्म, भाषा भले ही अलग हो मगर हम सब एक है। संविधान ने सबको बराबरी का दर्जा दिया है। भारत सरकार कोई भी कानून ऐसा नही बना सकती जो हर धर्म के लिये अलग-अलग हो। मुस्लिम समाज को अपने पिछडे पन को दूर करने के लिये समाज को समझना होगा, समाज की जरूरतों को पूरा करना होगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी हाकिम खुदा की मर्जी के बिना नही आता, मुसलमानें को चाहिए कि वह अपने जीवन में कुरआन-शरीअत की शिक्षा को आत्मसात करे।