अभी-अभी एकाध दिन पहले हमारी पार्टी से कुछ लोग भाजपा में सम्मिलित हुए क्योंकि निकायों के चुनाव में पार्टी उनकी भावना का सम्मान नहीं कर पाई। ऐसे लोगों में दो ऐसे साथी जिन्हें मैं बहुत कर्तव्य निष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मानता आया हूं, वह भी भाजपा में गये। मुझे उनका भाजपा में जाने का दु:ख है।
भाजपा में गए लोगो को कांग्रेस पार्टी ने तो हमेशा सत्ता या संगठन, दोनों में एकाध को तो पद देकर सम्मानित किया। अभी-अभी भाजपाई बने एक सज्जन ने तो पार्टी और पार्टी के नेताओं को लेकर मीडिया में बहुत कुछ कहा है, वह व्यक्ति वर्तमान समय में भी पार्टी संगठन में लगभग नंबर दो के स्थान पर थे, अत्यधिक प्रभावी स्थान पर थे। एक टी.वी. बहस में उन्होंने और उनके कुछ और सहयोगियों ने जो इससे भी महत्वपूर्ण पदों पर कांग्रेस संगठन के बलबूते पर विराजमान रहे हैं, बहुत कुछ कहा।
मेरी शान में भी कई कसीदे उन्होंने पढ़े। मैं उन्हें बस इतना भर याद दिलाना चाहूंगा कि आज भी जिन पदों का वह उपयोग अपने नाम को प्रभावी बनाने के लिए करते हैं, वह समस्त पद उन्हें कांग्रेस पार्टी के बलबूते पर ही हासिल हुए हैं और उस कालखंड में हासिल हुए हैं, जब वह हरीश रावत के करीबी थे। खैर उनके शब्द, बाण उनकी निराशा के द्योतक भी हो सकते हैं और उनकी रणनीति का हिस्सा भी हो सकते हैं ताकि मुझे बुरा भला कहकर वह भाजपा नेतृत्व का प्रतीक्षा आशीर्वाद पा सकें। मगर हमारी पार्टी की प्रवक्ता ने उन्हें टीवी बहस में बहुत सटीक, प्रभावी और तर्कपूर्ण उत्तर दिया। मैं, पार्टी की प्रवक्ता को बहुत शाबाशी देना चाहूंगा। भगवान उसकी वाणी और बुद्धि में वृद्धि करें, अपना आशीर्वाद उसे प्रदान करें।राजनीति में आपको कई विडंबनाएं झेलनी पड़ती हैं। आज नगर निकायों के चुनाव में जिन लोगों को पार्टी ने नामांकित किया है, ऐसे लोग हमारी पार्टी के नेता गणों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दे रहे हैं। पार्टी जिन्हें नामांकित नहीं कर पाई है उनका गुस्सा मुझे झेलना पड़ रहा है। वरिष्ठता का सम्मान करने की अपेक्षा करती है, मैंने पहले भी उलाहनाएं झेली हैं, भगवान मुझे क्षमता प्रदान करें।