हल्द्वानी, 6 जून 2025: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज हल्द्वानी में पारंपरिक स्वाद और पहाड़ी संस्कृति के संगम की एक अनोखी राजनीतिक मिसाल पेश की, ‘थैंक्यू काफल पार्टी’ के बहाने न सिर्फ उन्होंने स्थानीय फल काफल का स्वाद बंटवाया, बल्कि इसे उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान से भी जोड़ा।
हरीश रावत लंबे समय से सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तराखंडी व्यंजन, भाषा और परंपराओं को मंच देते रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में उनका राज्यभर में जनता और कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ने का अंदाज़ एक नए राजनीतिक मास्टर प्लान की ओर इशारा कर रहा है।
थैंक्यू काफल पार्टी’ — स्वाद के साथ संवाद

इस आयोजन में भारी संख्या में स्थानीय लोग और कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए,कार्यक्रम में काफल के स्वाद के साथ-साथ उत्तराखंड के लोकगीत, वेशभूषा और भोज्य संस्कृति की झलक देखने को मिली।
हरीश रावत ने कार्यक्रम में कहा,
“काफल सिर्फ फल नहीं, हमारी आत्मा है। इसका सम्मान करना हमारी संस्कृति का सम्मान है।”
राजनीति को युवाओं के लिए सिखाने का संदेश
पूर्व मुख्यमंत्री के इस आयोजन ने युवाओं को भी प्रेरित किया। जिस निरंतरता और समर्पण से वे पहाड़ से मैदान तक सक्रिय हैं, वह राजनीति के प्रति सम्मान और सेवा भाव की मिसाल बनती है।
धामी के आगमन से पहले हरदा छाए
दिलचस्प बात यह है कि कल हल्द्वानी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दौरा प्रस्तावित है। लेकिन आज का दिन पूरी तरह हरीश रावत के नाम रहा। शहर की सियासत में चर्चा यही रही कि रावत ने अपने विशेष अंदाज़ में पहले ही “राजनीतिक रण” में बढ़त बना ली है और वह भी एक काफल पार्टी के ज़रिए!
हरदा का यह नया अंदाज़ व्यंजनों के माध्यम से जन संवाद और पहाड़ी संस्कृति का प्रचार एक नरम लेकिन सटीक राजनीतिक हथियार बनता दिख रहा है,2027 की ओर बढ़ती उत्तराखंड की राजनीति में यह ‘काफल कनेक्शन’ कितना असरदार होगा, यह तो वक्त बताएगा, मगर आज के हल्द्वानी में हरदा का असर निर्विवाद रहा।