CSR की चमकदार योजनाओं से पहले मौलिक जिम्मेदारियां निभाए सरकार: पंकज कपूर
– विद्यालयों की दुर्दशा पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उठाये सवाल
देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के 550 राजकीय विद्यालयों को कॉरपोरेट समूहों के सहयोग से गोद दिए जाने की योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी पंकज कपूर ने कहा कि सरकार की यह पहल दिखावटी और अल्पकालिक समाधान है।
यदि सरकार वास्तव में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारना चाहती है तो उसे सबसे पहले जर्जर स्कूल भवनों, शौचालय विहीन परिसरों और बिना पानी-बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से जूझते हजारों स्कूलों की सुध लेनी चाहिए।
कपूर ने कहा कि शिक्षा का अधिकार महज़ कागज़ी नहीं, व्यवहारिक हक होना चाहिए। लेकिन हाल ही में जारी शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि, प्रदेश के 2,210 स्कूल पूरी तरह जर्जर हैं, 3,691 स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है, 547 स्कूलों में लड़कों के लिए और 361 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय तक नहीं हैं, 130 स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है।
“सरकार जब अपने कर्तव्यों को निभाने में असमर्थ होती है, तो CSR के नाम पर जिम्मेदारी निजी हाथों में सौंपकर पल्ला झाड़ लेती है। शिक्षा सरकार का संवैधानिक दायित्व है, न कि सिर्फ जनसंपर्क और दिखावे का माध्यम।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी निजी क्षेत्र या प्रवासी उत्तराखंडियों के सहयोग की भावना का सम्मान करती है, लेकिन वह शिक्षा के निजीकरण या नीतिगत जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति का विरोध करती है।
पार्टी की प्रमुख मांगें
सभी जर्जर स्कूल भवनों की तत्काल संरचनात्मक ऑडिट कराई जाए और आवश्यक मरम्मत कार्य शुरू किया जाए।
बुनियादी सुविधाएं- शौचालय, पानी, बिजली, बाउंड्री वॉल और फर्नीचर, प्राथमिकता के साथ हर स्कूल को उपलब्ध कराई जाएं।
CSR के अंतर्गत मिलने वाले फंड का पारदर्शी उपयोग और जनमूल्यांकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
शिक्षा के क्षेत्र में स्थायी समाधान और दीर्घकालिक नीति के तहत राज्य के दूरस्थ विद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाया जाए।
मीडिया प्रभारी कपूर ने यह भी कहा कि, सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों के सहयोग से एक “शिक्षा सहयोग फंड” स्थापित करे, जिसमें हर दानदाता का हिसाब पारदर्शी हो और फंड का उपयोग केवल उसी गांव या क्षेत्र के स्कूल के लिए हो जहां से सहयोग आया हो।
यदि सरकार केवल CSR के भरोसे स्कूलों को सजा-संवारने की योजना बनाकर मूलभूत जिम्मेदारियों से पीछे हटने की नीति पर कायम रही, तो राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी राज्यभर में जन-जागरण और जन-दबाव अभियान शुरू करेगी। शिक्षा केवल भवन या लैब नहीं, बल्कि गरिमा, सुरक्षा और अवसर का अधिकार है और पार्टी इसे सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर आवाज़ उठाएगी।