यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि उपलब्ध दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि लाइसेंस धारक आवश्यक अधिभार मानकों को पूरा नहीं करता। साथ ही, पिछले महीने उन्होंने बीपीएल श्रेणी के राशन का लाभ भी उठाया था।
इस पर सवाल उठते हैं कि क्या आबकारी विभाग की निगरानी में चूक हुई है, या फिर नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं की गई।
जिला आबकारी अधिकारी रूद्रप्रयाग रमेश बंगवाल ने बताया कि लाइसेंस आवंटन में हैसियत प्रमाण पत्र मांगा गया था, जो कि आवेदनकर्ता के अनुसार मान्य था। उन्होंने कहा कि बीपीएल श्रेणी की जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं थी।
लेकिन अब यह बड़ा सवाल बनता है कि जिला आबकारी विभाग कैसे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिला को करोड़ों रुपए के अधिभार वाला शराब ठेका दे सकता है। इस मामले में मुख्यमंत्री और आबकारी विभाग की सख्त कार्रवाई की आवश्यकता बताई जा रही है।