रिपोर्ट-आशीष नेगी
देहरादून।
उत्तराखंड जल संस्थान की ज़िम्मेदारी आम आदमी तक स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की है। जिन अधिकारियों का ये दायित्व है उनमें से कई अपने विभाग की कार्यशैली से नाराज़ हैं। विभाग के अंदर इस नाराज़गी को लेकर कई तरह की चर्चाएं गर्म हैं। खुलकर कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। क्राइम उत्तराखंड ने जब अपने विश्वसनीय सूत्रों के स्तर से जानकारी जुटाई तो पता चला कि वरिष्ठ अभियंताओं को विभाग की लचर कार्यशैली के कारण एवं मैनेजमेंट का कुछ अपने चहेते अभियंताओं के प्रति झुकाव के कारण अपने से कनिष्ठ अभियंताओं के अधीन कार्य करना पड़ रहा है।
सूत्रों की माने तो शासन द्वारा सहायक अभियंताओं की अंतिम वरिष्ठता सूची निर्गत करने से पूर्व आनन-फानन में प्रभारी अधीक्षण अभियंता के आदेश निर्गत किए गये हैं। जिसके उपरांत वरिष्ठता सूची निर्गत की गयी। जारी की गई वरिष्ठता सूची के अनुसार कई वरिष्ठ अभियंता अपने से कनिष्ठ अभियंता के अधीन कार्य करने हेतू बाध्य हैं।
जानकारी के मुताबिक लोक सेवा आयोग से चयनित अभियंता जिन्होंने कुल 563.86 अंक प्राप्त किए हैं वह आज भी अपनी प्रोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। जबकि जिस अभियंता 334.50 अंक प्राप्त किये हैं, उन अभियंता महोदय की प्रोन्नति की जा चुकी है। पूर्व में प्रोन्नत कनिष्ठ सहायक अभियतां जो कि वर्तमान में अधिशासी अभियंता के पद पर नियमित रूप से कार्यरत हैं। अधीक्षण अभियंता के पद प्रोन्नति देने हेतु वित्त विभाग से आपत्ति के उपरांत भी विभागीय सेवा नियमावली में संशोधन की प्रक्रिया गति मान है। जिसके फलस्वरूप कनिष्ठ होने के बाद भी सभी अधीक्षण अभियंता पद पर प्रोन्नत हो जायेंगे।
नाम ने छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अभियंता ने बताया कि प्राप्ताकों के आधार पर मेरिट को दरकिनार किया जा रहा है। जिससे वर्तमान में प्रोन्नति का इंतजार कर रहे वरिष्ठ सहायक अभियंता खुद को मानसिक रूप से व्यथित एवं अपमानित महसूस कर रहें है ओर अपने भविष्य के मद्देनज़र वे कोई भी बड़ा कदम उठा सकते है।