कोटद्वार: वार्ड 3 की जनता का खनन भंडारण के खिलाफ तहसील में क्रमिक धरना शुरू
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत वार्ड नं 3 मे खनन भंडारण के खिलाफ दो माह से जारी आंदोलन ने शुक्रवार को तहसील मे क्रमिक धरने के रूप मे विरोध शुरू कर आंदोलन को वृहत आकार दे दिया है। बताते चलें कि, जिला प्रशासन ने खनन करोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मानकों को सिरे से नकारते हुए कई भंडारण नगर निगम कोटद्वार मे स्वीकृत कर दिए। जब जिला प्रशासन के इस तुगलकी फरमान का विरोध होने लगा तो जिला प्रशासन ने उनमे से कुछ उन भंडारणों को वापस ले लिया जिसमें ताकतवर और राजनीति से जुडे लोगों ने विरोध जताया, और वह भंडारण निरस्त किए। जहां पर कृषि कार्य नही होते थे।
लेकिन जीरो टोलरेंस की सरकार और उसके सफेद कॉलर के जिला प्रशासन के खनन भंडारण के लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारी ! जिन्हें किसान की पीडा नही दिखाई दी। जिन्हें डबल इंजन का किसानों की आय दोगुनी करने का नारा सुनाई नही दिया। यही नही सरकार का राज्य को ग्रीन और पर्यावरणयुक्त तथा प्रदूषण मुक्त बनाने का जुमला भी न जाने कहां गायब हो गया। वार्ड की आबादी के बीचोबीच बने वार्ड नं 3 मे भंडारण के लिए जिला प्रशासन ने महिला मातृशक्ति के शांतिपूर्ण विरोध को नकार दिया। क्षेत्र के निवासियों के विरोध को भी काले चश्मे की नजरों से देख लिया और हद तो तब कर दी जब 20 से 30 सालों तक बर्फीले और भीषण रेगिस्तान से भरी सीमाओं पर देश की सुरक्षा मे आधी जिन्दगी गुजार दी।
रिटायर्डमेन्ट के बाद सुकून की जिन्दगी गुजराने की नियत से अपने परिवार, बच्चों, नाती-पोतों के साथ खेती बाडी करने की सोच बनाई, लेकिन वाह री इनकी किस्मत और वाह रे जिला प्रशासन की जिद। लेकिन फिर भी हौसला देखिए मातृशक्ति का, हौसला देखिए गौरव सेनानियों का और हौसला देखिए कृषि से दोगुनी आय का सपना पाले किसानों का जिन्होंने हिम्मत न हारते हुए शुक्रवार से कोटद्वार तहसील मे क्रमिक आन्दोलन खनन भंडारण के खिलाफ शुरू कर दिया है।
अब देखना यह है कि, मातृशक्ति, गौरव सेनानीयों और किसानों को न्याय मिलेगा या फिर दादागिरी और अफसरशाही अपनी जिद पूरी करने मे सफल होती है। क्रमिक आन्दोलन मे पहले दिन हेमा जखमोला, रामेश्वरी देवी, रामेश्वरी रावत, प्रमीला देवी, शान्ति देवी, मालती देवी, शुशीला देवी, गोपालकृष्ण बडथ्वाल, राजेन्द्र सिंह, हयात सिंह, जगदीश सिंह, कुंदन सिंह, सुदामा सिंह, कैप्टन गोपाल जखमोला, सहित गौरव सेनानीयों, किसानों व मातृशक्ति ने आन्दोलन की क्रमिक शुरुआत की।