शैलजा फॉर्म के हुए खुलासे से कई लोगों की उड़ी नींद
रिपोर्ट- अश्विनी सक्सेना
रुद्रपुर। अभी कुछ समय बिता है पर्वतजन ने नगर निगम रुद्रपर के शैलजा फार्म की 10 एकड़ नजूल भूमि को कुछ सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा अपने बड़े रसूखों के जरिये उक्त भूमि की बंदरबाट की खबर प्रकाशित की थी, जिससे नगर के कुछ लोगों की नींद हराम हो गई थी, इतना ही नहीं सत्ता के गलियारों में खलबली मचा दी थी।
इस खबर ने नगर निगम द्वारा कुछ लोगों को उक्त भूमि से अतिक्रमण 3 दिन में स्वयं हटा लेने के नोटिस 24 अप्रैल 2021 को दिए गए गये थे, किंतु उक्त अतिक्रमण निगम द्वारा आज तक नहीं हटाये गये। जबकि इसी बीच नगर में निगम द्वारा कई स्थानों पर अतिक्रमण हटाये गये।
उक्त शैलजा फार्म से इनके अतिक्रमण हटने के पीछे बड़ा कारण तो वर्तमान सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता और अपने आप को सीएम प्रतिनिधि कहलाने वाले सज्जन है जिन्होंने मन्दिर की आड़ में बड़ा पक्का निर्माण कर लिया है और मंदिर को उक्त स्थल से हटा कर शेष खाली भूमि में फाइबर/टीन शेड में स्थापित कर दिया।
उक्त अतिक्रमण को न हटाये जाने का कारण जानने जब हमारे संवाददाता निगम के MNA श्रीमती रिंकू बिष्ट से मिलने गए, तो उन्होंने कहा कि, शैलजा फार्म पर कोई अतिक्रमण नहीं है और जो नोटिस निगम द्वारा दिये गए हैं वो गलती से दिए गए हैं क्योंकि उक्त लोगों के नाम से शैलजा फार्म में रजिस्ट्रियां है। उन्होंने ये भी कहा कि समय आने पर उक्त रजिस्ट्रियां दिखा दी जायेंगीं।
उन्होंने कहा कि यदि वहा पर किसी का अतिक्रमण होगा और कोई शिकायत आयेगी तो उस पर कार्यवाही की जाएगी। ये सब सुन हमारे संवाददाता सकते में आ गए और उन्होंने अपनी टीम के साथ शैलजा फार्म में हुई रजिस्ट्रियों की खोज शुरू कर दी। जिस पर होने वाले खुलासे को देख कर तो पूरी टीम ही चोंक गई।
सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की मलाई सभी के समय बंटी है और चाहे नेता हों या धनवान,भूमि पर किसी भी तरह से काबिज तो ऐसे ऐसे लोग ही हैं कोई तो सरकारी सेवा से जुड़े परिवार से, तो कुछ वरिष्ठ समाज सेवी लोग ही है। किसी गरीब या बिना रसूख वाले ने अतिक्रमण नहीं किया।
अभी कुछ दिन पहले नगर निगम के उपनगर आयुक्त दीपक गोस्वामी द्वारा सिचाई विभाग तथा राजस्व विभाग के पटवारी सहित अन्य विभागों ने मिलकर डिजिटल मैपिंग से सर्वे करवाया की वर्तमान में शैलजा फार्म की कितनी भूमि शेष बची है जिसकी रिपोर्ट निगम द्वारा अभी सार्वजानिक नहीं की गई है कि, कितनी भूमि शेष बची है।
आपको बता दे कि दिनांक 12 सितम्बर 2006 को पत्रांक संख्या – माप / 25 – नजूल – फ्री,हो,/2006 के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा उक्त भमि प्रकरण में सैलजा फार्म में हुये फ्री होल्ड भूमि प्रकरण पर रोक लगा दी गई थी। उक्त प्रकरण में जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा विज्ञप्ति भी निकाली गई थी कि नगरीय क्षेत्र रुद्रपुर के मोहल्ला खेड़ा, गंगापुर रोड पर स्तिथ सैलजा फार्म के राजस्व ग्राम रुद्रपुर के खसरा संख्या – 66 ,67 ,69 ,70 मिन नजूल भूखंड संख्या – 20 पैमाइश 10 एकड़ का स्वामित्व / फ्रीहोल्ड सम्बंधित प्रकरण विवादित है इसलिए उक्त भूमि का क्रय – विक्रय अग्रिम आदेशों तक पूर्णतया वर्जित है।
इस विज्ञप्ति के बाद ही जिलाधिकारी कार्यालय के पत्रांक संख्या – 631 / 25 – नजूल – फ्री,हो,/2006 दिनांक 12 सितम्बर 2006 को उपजिलाधिकारी / नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र रुद्रपुर, तहसीलदार किच्छा, अधिशासी अधिकारी नगरपालिका परिषद् रुद्रपुर तथा अवर अभियंता विनियमित क्षेत्र रुद्रपुर को प्रेषित पत्र में स्पस्ट निर्देशित किया गया था कि सैलजा फार्म के राजस्व ग्राम रुद्रपुर के खसरा संख्या – 66 ,67 ,69 ,70 मिन नजूल भूखंड संख्या – 20 पैमाइश 10 एकड़ का स्वामित्व / फ्रीहोल्ड सम्बंधित प्रकरण विवादित एवं विचाराधीन है इसलिए उपर्युक्त भूमि का क्रय – विक्रय एवं भवन मानचित्र स्वीकृत व नामांतरण आदि की कोई कार्यवाही न की जाये।
तदोपरान्त मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम रुद्रपुर निधि यादव द्वारा राम सिंह मानचित्रकार एवं बी.सी.रिखाड़ी कर निरीक्षक नगर निगम रुद्रपुर को दिए गए पत्र संख्या – 18 / प्रशा0 अधि 0 /2013 दिनांक 20 दिसंबर 2013 में स्पस्ट उल्लेख किया गया है की सैलजा फार्म की 4-97 नजूल भूमि पर अतिक्रमण / अवैध कब्जे कर अवैध निर्माण जारी है।
उक्त दोनों कर्मचारियों को आदेशित किया था कि, भविष्य में उक्त भूमि पर कोई भी अतिक्रम/निर्माण होता है तो उसके लिए आप दोनों जिम्मेदार होंगे,यदि कोई भी अतिक्रमण होता है तो तत्काल उसकी सूचना सम्बंधित अधिकारियों को देनी अन्यथा आप दोनों को दोषी मानते हुए आप दोनों के विरुद्ध कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
यहां आपको बता दे, उक्त आदेश के बाद भी शैलजा फार्म की भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण आज तक जारी है जो कि इन दोनों कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, ओर इनके किसी भी प्रकार के निजी स्वार्थ सिद्धि की ओर इंगित करता है।
प्रमाण तो यहां तक हैं कि राम सिंह ने तो नगर पालिका/नगर निगम की सरकारी नोकरी करते हुए भी 500 ,500 रु0 ले कर सरकारी पेपर /सरकारी मशीन से ड्यूटी के समय लोगो घरों के खूब नक्शे बना कर दिए हैं, ओर मोटा पैसा कमाया है तो कोई बड़ी बात नहीं जो इन्होंने अवैध निर्माण में माल न काटा हो और माल न बांटा हो।
यहां मुख्यतः यह भी उल्लेखनीय है कि, राम सिंह मानचित्रकार और अन्य के विरुद्ध जिला कार्यालय उधम सिंह नगर द्वारा दिनांक 28/09/2006 को थाना रुद्रपुर में FIR NO – 055277 पर उक्त शैलजा फार्मलीज भूमि प्रकरण में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था पर आरोप था की राम सिंह और अन्य द्वारा जानबूझकर कूट रचना कर छल पूर्वक संपत्ति को हरिदत्त करने के उद्देश्य से बेईमानी से प्रेरित होकर शासन को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से संपत्ति को फ्रीहोल्ड कराने व श्रीमती जीवन्ति शाह को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रेरित होकर मिथ्या अभिलेख जानबूझकर तैयार कर कृषि भूमि को आवासीय भूमि होना बताकर शासन को गुमराह कर अपने पद का दुरुपयोग किया है एवं श्रीमती जीवंती शाह ने उक्त अवैध एवं अपराधिक कृत्य करने के उद्देश्य से उक्त अधिकारियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र रच कर करोड़ों रुपए का अनुचित लाभ अर्जित किया है इसके लिए वह भी उत्तरदाई है ।
यह आरोप उक्त सभी लोगो पर लगाया गया था, जिसमे राम सिंह पर आरोप था कि, राम सिंह द्वारा गलत रिपोर्ट और कूट रचित पेपर प्रस्तुत किया गया था इतना ही नहीं इनकी कार्य शैली हमेशा विवादों में रही है परन्तु इनकी सेटिंग गेटिंग इतनी तेज है कि, सरकार किसी की भी हो लेकिन आज तक इनका बाल भी बांका नहीं हुया ।केवल सेटिंग के चलते ही उक्त पुलिस रिपोर्ट पर क्या कार्यवाही हुई आज तक किसी को पता नहीं और ये श्रीमान आज भी अपने हिसाब से और मनमाने तरीके से नजूल भूमि को खुर्द बुर्द करने का खेल, खेल रहे हैं।
अब बात आतिः है उक्त विवादित नजूल भूमि पर 57 रजिस्ट्रिया कैसे हो गई , जबकि जिलाधिकारी महोदय ने तो शाह की लीज को ही गलत करार दिया है किन्तु उसके उपरांत भी उक्त भूमि की 57 रजिस्ट्री होना और वो भी किसी दीपक चौहान पुत्र ओम प्रकाश नाम के ब्यक्ति द्वारा ,जो कि किसी पद पर ही नहीं था,क्योकि विक्रय पत्र में उसका पद नहीं खोला गया है, समझ से परे है कि ये दीपक कौन था,जिसने बिना किसी सरकारी पद पर रहते हुये, ये रजिस्ट्रिया कैसे कर दी ।जबकि रजिस्ट्री कराने का अधिकार तो अधिशासी अधिकारी/ मुख्य नगर अधिकारी/ नजूल के किसी अधिकारी को ही होता हैं ।
उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार 2006 में रजिस्ट्री पर रोक के बावजूद दीपक चौहान द्वारा मिली भगत कर के 2009 से 2021 वर्तमान तक 57 रजिस्ट्री कर दी गई, किन्तु इन 57 रजिस्ट्रियों अभी तक राजस्व अभिलेख में किसी का भी दाखिल ख़ारिज नहीं हुआ है।
समझने वाली बात यह है कि आखिर किसने खेला इतना बड़ा खेल और कौन लोग इस खेल में पर्दे के पीछे हैं । क्या सत्ता पक्ष का हाथ है इन लोगों के ऊपर।
रजिस्ट्रियों को देखने से ये तो स्पष्ठ होता है कि वर्तमान सत्ता पक्ष के लोगों की भी इस खेल में भागीदारी है क्योकि कुछ रजिस्ट्री तो रुद्रपुर मंडल के एक नेता और उनकी पत्नी व पिता के नाम से ६ रजिस्ट्री दिखाई दे रहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार इसी भूमि में सरकारी विभाग के कर्मचारी का भी भवन भी बना है और कुछ बड़े ठेकेदार भी है। देखने वाली बात यह है की निगम में आये नए MNA, IAS कैडर के श्री विशाल मिश्रा जी उक्त प्रकरण के संज्ञान में आने पर कोई जांच आदि करते है या पूर्व MNA की तरह मौन बने रहेंगे।
सूत्रों से यह भी ज्ञात हुया है कि कुछ वास्तविक समाजसेवी इस प्रकरण की SIT जांच की मांग भी करने वाले हैं और यदि ऐसा नहीं होता है तो इस प्रकरण को मा0 उच्च न्यायालय में ले जाने का भी मन बना रहे हैं।