जीरो टॉलरेन्स की सरकार में अधिकारियों का कारनामा, आरोपी खुद बना जांच अधिकारी
– वन महकमे के चर्चित पत्र प्रकरण के आरोपी रेंजर खुद बना जांच अधिकारी
– अपने ऊपर लगे आरोपो की जांच की शुरू
रिपोर्ट- अनुज नेगी….
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार पारदर्शिता से कार्य करने के चाहे जितने भी दावे करे, मगर इन दावों का राज्य के अधिकारियों पर कोई फर्क नही पड़ता है। हर रोज नए कारनामों के लिए कुख्यात राजाजी पार्क के गोहरी रेंज अब फिर चर्चा में है। कुछ दिनों पूर्व राजाजी पार्क के वन आरक्षी पत्र प्रकरण में महकमें के आला अफसर मौन साध गए। अफसरों की इस कार्यप्रणाली को देख वन आरक्षी द्वारा आरोपित रेंजर धीर सिंह ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपो की खुद जांच शुरू कर दी है।
आला अफसरों की सरपरस्ती में रेंज अधिकारी में आरोप लगाने वाले वन आरक्षी को स्पस्टीकरण देने के लिए पत्र लिखा गया है। पत्र का वैध जवाब न देने पर कठोर कार्यवाही की चेतावनी भी दी गयी है। वही इस मामले में वन आरक्षी नवीन कुमार ने रेंजर धीर सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया है। संघठन व रेंज अधिकारी को प्रेषित यह पत्र कल से ही चर्चा में बना हुआ है। इस जवाबी पत्र में वन आरक्षी ने एक बार फिर गम्भीर आरोप लगाते हुए रेंज अधिकारी व अनुभाग अधिकारी अजीत कुमार सोम पर अवैध उगाही के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
पत्र के अनुसार धीर सिंह व अजीत सोम अपने पद का दरुपयोग करते हुए वन आरक्षी का उत्पीड़न कर रहे थे। दोनो के द्वारा प्रतिदिन 84 कुटी गेट के राजस्व से मोटी रकम की डिमांड की जा रही थी। मन करने पर अजीत सोम द्वारा गेट की राजस्व वसूली स्वयं की जाने लगी। इसके साथ ही वहां स्थित नगर पंचायत जोंक के बरियार को भी नही हटाने दिया गया। आखिर ऐसा कौन सा कारण है कि, राजाजी पार्क के वार्डन व निदेशक इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। नियमो के अनुसार इस पूरे मामले की जांच वार्डन स्तर पर की जानी चाहिए थी। मगर कर्मचारी संघठनो के दबाव के बाद भी आला अफसरों की चुप्पी समझ से परे है।
हमेशा ही विवादों में रहे है राजाजी पार्क के गोहरी रेंजर का यह पहला मौका नही है जब रेंज अधिकारी चर्चा में रहे हो। इससे पहले भी विवादों से इनका नाता रहा है। कुछ समय पूर्व आचार संहिता के दौरान इनके ट्रांसफर ने भी बहुत सुर्खिया बटोरी थी। उस बार प्रदेश के वन मुखिया ने इनका स्थान्तरण नरेन्द्र नगर वन प्रभाग से राजाजी टाइगर रिजर्व में कर दिया था। वही तमाम संघठनो व विधायक के निदेशक को पत्र लिखे जाने के बाद भी अब तक कार्यवाही न होना एक बड़ा सवाल है। आखिर पार्क की प्रतिष्ठा से जुड़े इस मामले में वन महकमें के आलाधिकारी खुद क्यो नही जांच कर रहे है।
“कोई आरोपी खुद पे लगे आरोपों की जांच नही कर सकता।वही रेंजर ने इस मामले में वन आरर्क्षी से स्पस्टीकरण माँगा है।”
– ललित प्रसाद टम्टा, वन्यजीव प्रतिपालक राजाजी पार्क