गरीब मजदूरों का आर्थिक पैकेज जैसे झुनझुनों से नहीं होने वाला भला
– आर्थिक पैकेज नहीं! गरीब, किसान, व्यापारियों का भी कर्ज बट्टे खाते में डाले सरकार
– करोड़पतियों/अरबपतियों के कर्ज बट्टे खाते में डाले जा सकते हैं तो वास्तविक गरीबों की क्यों नहीं
देहरादून। विकासनगर स्तिथ जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने शुक्रवार को एक ब्यान जारी करते हुए कहा कि, देश के किसानों, मध्यमवर्गीय व्यापारियों, छोटे उद्यमियों एवं गरीब मजदूरों का भला आर्थिक पैकेज जैसे झुनझुनों से होने वाला नहीं है। अगर सरकार वास्तव में गरीबों के हक में कुछ सहानुभूति रखती है तो सरकार को उनका कर्ज राइट ऑफ/बट्टे खाते में डालना चाहिए, जैसे कि सरकार ने दर्जनों अरबपति/खरबपति का कर्ज़ डाला है।
मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ ने निशाना साधते हुए कहा कि, कोरोना महामारी कोई क्षणिक नहीं है तथा इसके परिणाम कई वर्षों तक भुगतने होंगे; ऐसे में इन वास्तविक गरीबों (पात्रों) के कर्ज माफ कर सरकार इनका आर्थिक व मानसिक शोषण समाप्त कर इनके कामों/ व्यवसायों में तेजी ला सकती है। सरकार ने छोटे तबके के व्यापारियों किसानों व अन्य को भी रियायती दर/बिना ब्याज के बैंकों से कर्ज दिलाने की बात की है। लेकिन व्यापार, किसान, गरीब-मजदूर तो पहले ही कर्जदार है।
ऐसी परिस्थितियों में क्या गरीब जी पाएगा? क्या उसका रोजगार चल पाएगा? बड़ा गंभीर प्रश्न है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि गरीबों को वर्तमान समय में आर्थिक पैकेज की नही बल्कि बैंक का कर्ज राइट ऑफ/बट्टे खाते यानी माफ करने की दिशा में काम करना चाहिए |