पुलिस महकमे में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल
– दरोगा/इंसपेक्टर वर्षों से जमे बैठे हैं देहरादून-हरिद्वार
– पर्वतीय दरोगाओं को मैदान में तैनाती की राह आसान नहीं
देहरादून। राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। विधानसभा सचिवालय और UKSSSC में भ्रष्टाचारियों पर नकेल डाली गयी है। ऐसे समय में सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश सिंह नेगी ने पुलिस महकमे में ट्रांसफर और पोस्टिंग नीति पर सवाल उठाए हैं।
उनका कहना है कि, पुलिस विभाग में उप-निरीक्षक और निरीक्षक पदों पर तैनाती और तबादले में भी खेल हो रहा है।
एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि, मैदानी जिलों में तैनात कई दरोगा और थानेदार वर्षों से यहीं जमे हैं और पर्वतीय जिलों में तैनात अफसरों को मैदान में आने का समय नहीं मिल रहा है।
सोशल एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने बताया कि, उन्होंने आरटीआई में एक निरीक्षक प्रदीप चौहान की सेवा संबंधी जानकारी मांगी। इसमें जानकारी मिली कि प्रदीप चौहान ने 2004 से लेकर 2009 तक पर्वतीय जिलों में काम किया। टिहरी, कोटद्वार, धुमाकोट में।
लेकिन 2009 के बाद वह देहरादून के विभिन्न विभागों में ही कार्यरत रहे। जबकि नियमानुसार उपनिरीक्षक और निरीक्षकों को आठ साल मैदान के चार जिलों यानी ऊधमसिंह नगर, देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार में नौकरी करने के बाद पर्वतीय जिलों में नौकरी करनी होगी।
एक ही जनपद में अधिकतम चार साल ही नौकरी की जा सकती है। इसके बाद उसकी पोस्टिंग होनी चाहिए। लेकिन प्रदीप चौहान के मामले में ऐसा नहीं हुआ।
गौरतलब है कि, इंस्पेक्टर प्रदीप चौहान अब तक नेहरू कालोनी के थानाप्रभारी थे और अब उनको अपराध शाखा में तैनाती दी गयी है।
सोशल एक्टिविस्ट विकेश नेगी के मुताबिक ट्रांसफर-पोस्टिंग की जड़ में भ्रष्टाचार है। पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार चरम पर है।
चूंकि पुलिस सबकी जांच करती है लेकिन पुलिस की कोई जांच नहीं होती। इसलिए इस महकमे में भ्रष्टाचार अन्य विभागों की तुलना में काफी अधिक है।
मैदानी थानों में जमे अधिकांश पुलिस उपनिरीक्षक या निरीक्षक भ्रष्टाचार और अपराध को प्रश्रय देने का काम कर रहे हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश सिंह नेगी ने कहा कि पुलिस महकमे में भी तबादला नीति स्पष्ट होनी चाहिए। जो सुगम में तैनात है तो उसे भी दुर्गम में पोस्टिंग दी जानी चाहिए और दुर्गम वाले पुलिसकर्मियों को भी सुगम में मौका मिलना चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से मांग की है कि, पुलिस की ट्रांसफर और पोस्टिंग नीति की समीक्षा हो और बरसों से मैदानी इलाके में जमे उप निरीक्षकों और निरीक्षकों की तैनाती पर्वतीय जिलों में हो।