आधुनिक बस अड्डे के नाम पर जनता को मिला गड्ढा। मामला पहुंचा कोर्ट
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। कोटद्वार के मोटर नगर में आधुनिक बस अड्डा के नाम पर जनता को लगातार गुमराह किया जा रहा है। नगर निगम और शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते सात साल बाद भी शहर में बस अड्डा निर्माण अधर में लटका हुआ है। आलम यह है कि, बस अड्डे की जगह पर कार्यदायी एजेंसी ने बड़ा गड्ढा खोदकर छोड़ दिया है। जो अब वाहनों की पार्किंग के काम भी नहीं आ पा रहा है।कोटद्वार वासियों को उम्मीद तो थी कि, उन्हें न सिर्फ आधुनिक बस अड्डा मिलेगा, बल्कि शहर में जगह-जगह पार्किंग के चलते लगने वाले जाम से भी निजात मिलेगी। लेकिन बस अड्डा तो मिला नहीं बल्कि जिस भूमि को अस्थायी बस अड्डे के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा था, वहां आधुनिक बस अड्डे के नाम पर गड्ढा बना दिया।
जो आज भी आमजन को मुंह चिढ़ा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि, जहां प्रदेश सरकार क्षेत्र में पार्किंग सुविधा को लेकर पूरी तरह निष्क्रिय है। वहीं नगर निगम प्रशासन भी इस पूरे मामले में चैन की बंशी बजा रहा है। कोटद्वार की सुन्दरता पर दाग लगा रहे गड्ढे से क्षेत्र की उस राजनीति की भी कलई खुल रही है। जिसमें विकास के दावे किए जाते हैं। बतादें कि, जिस सरकारी भूमि को बस अड्डा निर्माण के नाम पर खोदा गया वहां से सात वर्ष पूर्व तक बस व टैक्सियों का संचालन होता था। तत्कालीन नगर पालिका ने 23 मार्च 2013 को पीपीपी मोड पर मोटर नगर में आधुनिक बस टर्मिनल बनाने का कार्य एक निजी संस्था को सौंपा। संस्था ने मोटर नगर में बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू किया।
पालिका ने मोटर नगर की 1.838 हेक्टेयर भूमि में से 1.5034 हेक्टेयर भूमि कंपनी को मुहैया करा दी। अनुबंध के मुताबिक मार्च 2015 तक बस अड्डे का निर्माण पूर्ण कर नगर पालिका को सौंपा जाना था। करार होने के नगर पालिका ने मोटर नगर का भू-उपयोग परिवर्तित नहीं किया। निर्माण के करीब छह माह बाद भू-उपयोग तो परिवर्तित हो गया, लेकिन जिस स्थान पर बस अड्डा निर्माण होना था, वहां पहले से ही दुकानें मौजूद थीं। जिस कारण मसला फिर लटक गया। इसके बाद भी नगर पालिका तय शर्तो के अनुसार मोटर नगर की पूरी भूमि खाली करवा कर संस्था को नहीं सौंपी।
क्या कहती है मेयर नगर निमग हेमलता नेगी
बस अड्डे का निर्माण अधर में लटक गया और यही स्थिति आज भी बरकरार है। मोटर नगर में बस अड्डा निर्माण के संबंध में कार्यदायी संस्था के साथ पूर्व में हुआ एमओयू रद्द हो गया है और यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।