ग्राम प्रधान ने स्वयं के संसाधनों से बनाई सड़क। ग्रामीणों के चेहरे पर रौनक
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली। आत्मनिर्भर भारत बनने की कवायद थराली विकासखण्ड के माल बज्वाड़ गांव में देखने को मिल रही है।यहां के ग्रामीणों और ग्राम प्रधान ने नई नजीर पेश की है। दरसल बहुत लंबे समय से बज्वाड़ गांव के ग्रामीण सड़क मार्ग से गांव को जोड़ने के लिए सरकार से गुहार लगाते रहे और उनकी इस गुहार पर कई बार अलग-अलग जगह से गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए विभागों की सर्वे भी हुई लेकिन फिर भी सर्वे के बावजूद ग्रामीणों की सुविधा के लिए न तो सड़क की कोई घोषणा हो सकी और सड़क कटिंग का कार्य कहीं से भी शुरू हो सका। ऐसे में लॉकडाउन के बीच मालबज्वाड गांव के ग्राम प्रधान ने दृढ़ इच्छाशक्ति और ग्रामीणों के सहयोग से खुद ही अपने संसाधनों से गांव तक सड़क पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया और आज नतीजा सामने है।
लोलटी मेलठा मोटरमार्ग पर शमशान गधेरे से शुरू हुआ। सड़क कटिंग का कार्य अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। सड़क गांव तक पहुंच चुकी है। गांव तक सड़क पहुंचने की खुशी बज्वाड़ गांव के ग्रामीणों के चेहरों पर एक नई रौनक लेकर आई है। ग्रामीण जहां गांव के प्रधान का धन्यवाद करते नही थक रहे वहीं ग्रामीणों ने अब सरकार से इस कच्ची सड़क पर पक्का काम करवाकर ग्रामीणों को सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद शुरू करे। लंबे अरसे से ग्रामीणों की सड़क की मांग के बावजूद भी सड़क सुविधा से बज्वाड़ गांव न जुड़ सका तो माल बज्वाड़ के ग्राम प्रधान जितेंद्र रावत ने ग्रामीणों के सहयोग से एक किलोमीटर लंबी सड़क काटकर सड़क गांव तक तो पहुंचा ही दी लेकिन ये महज शुरुआत भर है।
जिसे अब सरकार के सहयोग की दरकार है। ग्रामीणों का कहना है कि, सड़क के अभाव में गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और स्कूली बच्चो की काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था और बज्वाड़ गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए ग्रामीण पिछले दो दशकों से लगातार सरकार से पत्राचार करते रहे हैं। लेकिन अभी तक भी सरकार ने उनकी सुध नही ली, ऐसे में गांव के युवा ग्राम प्रधान ने आगे आकर सड़क कटिंग का कार्य शुरू करवाकर ग्रामीणों के सड़क से जुड़ने के सपनो को पंख लगाने का काम किया है।