उत्तराखंड में मीडिया पर सरकारी कहर के खिलाफ किया जाएगा देशभर में विरोध
– देशव्यापी ऑनलाइन धरना में पत्रकारों ने उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई
नई दिल्ली। उत्तराखंड में पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करके जेल भेजने के खिलाफ नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया और संबद्ध राज्य इकाइयां बड़े पैमाने पर विरोध दर्ज कराएंगी। एनयूजे-आई द्वारा रविवार को देशव्यापी ऑनलाइन धरना में पत्रकारों की हत्या, उत्पीड़न, मीडिया संस्थानों में छंटनी और वेतन कटौती पर चिंता जताई गई। एनयूजे-आई के अध्यक्ष रास बिहारी ने बताया कि, उत्तराखंड में मीडिया पर त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि, उत्तराखंड के पुराने अखबार पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल पर धारा 268, 500, 501, 503 और 504 और साथ ही 120 बी भी लगा दी गई तथा रंगदारी समेत कई मामलों में केस फर्जी केस दर्ज किये गये हैं। उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। नैनीताल हाईकोर्ट ने राजद्रोह के मामले में गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। पत्रकार राजीव गौड़ ने कोटद्वार में सरकार की खनन नीति को लेकर सवाल उठाए थे। खनन माफिया के बारे खबरें दिखाने पर राजीव गौड़ पर हमला किया गया। पुलिस ने खनन के पैसे लूटने का केस बना कर गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उनकी कुर्की की मुनादी सरे बाजार करवाई गई।
सुप्रीम कोर्ट से ही उन्हें अग्रिम जमानत मिली है। क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश कुमार और पत्रकार उमेश कुमार पर भी प्रदेश सरकार ने एफआईआर दर्ज कराई गई है। पत्रकार राजेश शर्मा की आधी रात में गिरफ्तारी की गई। मुख्यमंत्री के नजदीकी और पूर्व सलाहकार रहे हरेंद्र रावत द्वारा एक कमजोर सा आधार बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
रास बिहारी ने बताया कि, एक निजी चैनल के संपादक उमेश कुमार पर कई मामले दर्ज किए गए हैं। उनकी गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। पहाड़ टीवी के दीप मैठाणी पर धारा 504, 151 धारा लगा कर फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया। धरना में देशभर के पत्रकारों ने अपने विचार व्यक्त किए। उत्तराखंड के पत्रकारों का कहना था कि राज्य में स्वतंत्र मीडिया का अस्तित्व खतरे में है।
दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव के पी मलिक ने कहा कि उत्तराखंड में पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करने के खिलाफ 29 अगस्त को संसद पर प्रदर्शन किया गया और माननीय राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर उत्तराखंड में मीडियाकर्मियों को सरकारी कहर से बचाने की अपील की गई है।
एनयूजे महाराष्ट्र की अध्यक्ष शीतल करदेकर ने कहा कि मीडिया पर जुल्मों के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाने की जरूरत है। धरना को एनयूजे के कोषाध्यक्ष डा.अरविंद सिंह, उपाध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया, प्रदीप तिवारी, भूपेन गोस्वामी, सचिव के कंडास्वामी, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित, एनयूजे बिहार के संयोजक रंजीत कुमार तिवारी, झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के कार्यकारी अध्यक्ष राजीव नयनम, एनयूजे की वरिष्ठ नेता सीमा किरण, संजना गांधी, विवेक जैन, अरविंद द्विवेदी आदि ने संबोधित किया।