सरकार उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों को लेकर कितने दावे भी कर ले लेकिन उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की खस्ता हालत है आज भी इन अस्पतालो की हालत किसी से छुपी नहीं है।
वही एक खबर रिखणीखाल प्रखंड के बिषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे गांव ” बराई धूरा” की है,जहाँ गाँव के एक निर्धन व गरीब परिवार की श्रीमती पूजा रावत पत्नी अशोक रावत का प्रसव होना था जिसे बेस अस्पताल कोटद्वार में प्रसव कराने के लिए ले गये लेकिन मानवता की सारी हदों को पार करते हुए वहाँ के चिकित्सकों ने सफल प्रसव कराने को साफ मना कर दिया।
आनन फानन में प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को प्राइवेट अस्पताल ले जाना पड़ा,जहाँ उसकी सफल सर्जरी करायी गयी। ईश्वर की कृपा से दोनों जच्चा बच्चा कुशल व स्वस्थ हैं।लेकिन एक गरीब परिवार को 35,000/_कर्ज लेकर चुकाना भारी पड़ा।
उत्तराखंड सरकार लाख दावे करती है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य में बेहतर सुधार है। गरीबों के लिए पांच लाख का आयुष्मान कार्ड की फैसिलिटी है। बहुत है बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते हैं लेकिन जब एक गरीब महिला प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचती है तो उनको प्रसव के लिए साफ मना कर दिया जाता है।
उत्तराखंड सरकार विज्ञापन के माध्यम से अपना प्रचार अच्छे से करती है कि हमने उत्तराखंड के अस्पतालों के लिए कितने अच्छी-अच्छी फैसिलिटी करी हुई है लेकिन हैरान कर देने वाली बात है कि यह फैसिलिटी सिर्फ विज्ञापन तक सीमित है बड़े-बड़े होल्डिंग तक सीमित है।
लेकिन धरातल से सब गायब हैं।सरकार कहती है कि सन 2025 तक हम उत्तराखंड राज्य को देश का नम्बर वन राज्य बनायेगे। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे परिस्थितियों में कैसे बनेगा?
बेस अस्पताल कोटद्वार जनपद गढ़वाल के रिखणीखाल,जयहरीखाल,नैनीडान्डा,द्वारीखाल,यमकेश्वर,दुगड्डा,कल्जीखाल,बीरोखाल,पोखडा आदि विकास खंडों का प्रमुख अस्पताल है।
रिखणीखाल में भी विश्व विख्यात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन वहाँ पर भी स्वास्थ्य सेवाये चाक-चौबंद नहीं है जैसा कि कयी बार सुर्खियों में देखा गया है
स्थानीय जनता का कहना है कि अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाये दुरुस्त करे या अनाप-शनाप घोषणाएं न करें।इससे आम जनमानस भ्रमित हो रहा है।