उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग हरिद्वार दोहरे मानक से दिव्यांगों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है ।
प्रवक्ता सेवा परीक्षा 2020 में दिव्यांगों के 122 पदों को नियमों की आड़ में रिक्त कर एग्रेनीत कर दिया ,जिससे दिव्यांगों में आक्रोश है ।
प्रवक्ता सेवा परीक्षा 2020 ( सामान्य एवं महिला शाखा ) का अंतिम परीक्षाफल 31 मई 2022 को जारी हो गया है, जिसमें उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा दिव्यांगता श्रेणी के अभ्यर्थी के अधिकारों के हनन का मामला प्रकाश में आया है ।
12 अक्टूबर 2020 को प्रवक्ता सेवा परीक्षा 2020 विज्ञापन में दिव्यांग पदों को ( UR , SC , ST , OBC ) एवं चिन्हित श्रेणी ( PB , PD ,OA,OL, ) आदि में नियमविरुद्ध बांटा गया था , जिससे न्यूनतम अंक उत्तीर्ण दिव्यांग का भविष्य भी सरकार एवं लोक सेवा आयोग के गलत नियमों की भेंट चढ़ गया।
फलस्वरूप 159 पदों के सापेक्ष 122 पद रिक्त गये है,जबकी हजारों की संख्या में न्यूनतम अंक उत्तीर्ण दिव्यांग अभ्यर्थी है।
दिव्यांगों का कहना है कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग(UKPSC) , दिव्यांग आरक्षण संबंधी शासनादेश संख्या 1673 / xxx ( 2 ) / 2010 दिनांक 10 नवम्बर 2010 के अनुरूप दिव्यांग स्वयं में अन्य श्रेणियों की तरह अलग श्रेणी है , अत: दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए पदों को अलग अलग श्रेणी UR , SC , ST , OBC में आवंटित नहीं किया जा सकता है, जिसमें चयन के उपरांत दिव्यांग अभ्यर्थी को आरक्षण रोस्टर में सम्बंधित श्रेणी में समायोजन का नियम है। लेकिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग चयन से पहले विज्ञापन में दिव्यांगों को UR, SC , ST , OBC में बांटकर चयन से वंचित कर रहा है जिससे दिव्यांगो के अधिकारों का हनन हो रहा है।
इसके अतिरिक्त किसी चिन्हित दिव्यांग श्रेणी का अभ्यर्थी न मिलने पर चिन्हित दिव्यांग की अगली श्रेणी से रिक्ति भरने का नियम है लेकिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग दिव्यांग के लिए जटिल नियम बनाकर अथवा नियमों को तोड़ मरोड़कर उत्तीर्ण दिव्यांग अभ्यर्थी होने के बावजूद पदो को रिक्त दिखाकर अग्रेनित कर रहा है,जिससे दिव्यांग अभ्यर्थी स्वयं को सरकार एवं उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से शोषित महसूस कर रहे हैं।
इससे पूर्व भी संयुक्त कनिष्ट अभियन्ता चयन परीक्षा 2013 के परिणाम में न्यूनतम अंक उत्तीर्ण होने के बावजूद भी दिव्यांगो के 19 पद रिक्त बताकर अग्रेनीत किए गये थे , जिससे बार बार दिव्यांगों को राजकीय सेवा से वंचित रखने का प्रयास किया जा रहा है । जिससे दिव्यांग अभ्यर्थियों में आक्रोश है।
दिव्यांगो ने माननीय मुख्यमंत्री जी से दिव्यांगो के पदों को श्रेणी में विभक्त न करके, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKPSC) एवं अन्य राज्यों के अनुसार यथावत रखने एवं दिव्यांग चिन्हित श्रेणी में अभ्यर्थी न मिलने पर शिथिलता देकर अन्य चिन्हित दिव्यांग श्रेणी को अवसर प्रदान कर रिक्ति भरने का अनुरोध किया गया है। अन्यथा दिव्यांगों को अपने हक एवम अधिकारों के लिए सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी।