एसटीएफ ने पुलिस मुख्यालय के माध्यम से शासन को पत्र लिखकर किया जांच कराने का अनुरोध। सूत्र
देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय और सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के प्रकरण में आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी व पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी सहित तीन अन्य अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। ऐसे में जल्द ही शासन स्तर से इनकी भूमिका की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो सकती है।
चार-पांच दिसंबर 2021 को आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके छह माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया।
पुलिस महानिदेशक के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई।
जांच में सामने आया कि आयोग ने लखनऊ के जिस प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. को पेपर छापने और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही पेपर लीक कर दिया। एसटीएफ अब तक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक सहित 34 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है।
एसटीएफ से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रिंटिंग प्रेस के मालिक और स्टाफ से हुई पूछताछ के बाद शक की सुई पूर्व सचिव व पूर्व परीक्षा नियंत्रक समेत आयोग के पांच अधिकारियों की तरफ भी घूम गई है। एसटीएफ को पेपर लीक में इनके शामिल होने का संदेह है।
इसके अलावा सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा में भी इन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इस परीक्षा का पेपर देहरादून में आयोग के मुख्यालय के भीतर स्थापित प्रिंटिंग प्रेस में छापा गया था, वहां से भी आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के स्टाफ ने पेपर लीक कर दिया। जबकि, पेपर की गोपनीयता बनाए रखने की जिम्मेदारी इन अधिकारियों की थी।वन दारोगा की परीक्षा में भी भूमिका शक के दायरे में
वन दारोगा भर्ती परीक्षा में भी आयोग के अधिकारियों की भूमिका शक के दायरे में है। आयोग ने मुंबई की जिस एनएसईआइटी कंपनी को आनलाइन परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी, उसे मध्य प्रदेश सरकार ने अगस्त 2021 में ही ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
कंपनी ने मध्य प्रदेश में तीन भर्ती परीक्षाएं आनलाइन कराई थीं, जिनमें नकल का मामला सामने आया। इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने तीनों परीक्षाएं निरस्त कर कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।