कांग्रेस का जोरदार हंगामा, प्रश्नकाल नहीं हो पाया
सत्र की शुरुआत से ही विपक्षी विधायकों ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा करना शुरू कर दिया। नतीजतन प्रश्नकाल नहीं हो पाया और कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही।
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सुबह से लेकर भोजनावकाश के बाद तक लगातार नारेबाजी हुई।
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सरकार की ओर से कुछ विधेयक सदन के पटल पर रखे गए।
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लेकिन विपक्ष के लगातार शोर-शराबे के चलते कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री धामी का विपक्ष पर पलटवार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विपक्ष के व्यवहार को लोकतंत्र और सदन की परंपराओं के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा –
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“कांग्रेस ने आज सदन को अराजक माहौल में बदल दिया। लोकतांत्रिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई गईं।”
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“राज्य की जनता ने भाजपा को निकाय, पंचायत और विधानसभा चुनावों में जिम्मेदारी सौंपी है। विपक्ष की हताशा इस हंगामे में साफ दिख रही है।”
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“चुनावों में हार के बाद कांग्रेस कभी ईवीएम, कभी चुनाव आयोग और कभी प्रशासन पर ठीकरा फोड़ती है।”
धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हुए हैं तथा भाजपा राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस का सरकार पर गंभीर आरोप
वहीं, कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने सरकार को घेरते हुए कहा –
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“सरकार की हठधर्मिता अपने चरम पर है।”
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“राज्य में लगातार कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और सरकार चुप्पी साधे बैठी है।”
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“विपक्ष यदि सदन में इस पर चर्चा नहीं करेगा तो फिर विपक्ष का अस्तित्व ही बेकार है।”
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या के साथ बदसलूकी हुई है, जो लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
उत्तराखंड विधानसभा मानसून सत्र का पहला दिन जनता के मुद्दों पर बहस की बजाय हंगामे की भेंट चढ़ गया। जहां एक ओर सरकार विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं विपक्ष कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग को लेकर आक्रामक है। आने वाले दिनों में यह सत्र कितना सुचारू रूप से चल पाता है, इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।