उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी का निलंबन ख़त्म कर उनकी बहाली के आदेश जारी कर दिए गए है। बडोनी बिना किसीआरोप पत्र के पिछले दो सालों से निलंबित चल रहे थे। अब उनको क्लीन चिट दी गई है। वे पेपर लीक मामले में निलंबित थे किये गये थे।
प्रदेश के चर्चित पेपर लीक मामले में किसी भी स्तर पर उनकी संलिप्तता नहीं मिली थी इसलिए सरकार को उन्हें बहाल करना पड़ गया। दरअसल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी को शासन ने करीब 2 साल पहले निलंबित किया था। लेकिन इतने लंबे अंतराल के बावजूद उन पर कोई भी आरोप तय नहीं हो पाया और न ही उन्हें चार्ज सीट दी गई। इसके बाद भी उन्हें लंबे समय तक निलंबित रखा गया। जिसके बाद आखिरकार सचिवालय प्रशासन विभाग को निलंबन वापस लेना पड़ा है। बिचित्र बात ये रही कि विभिन्न जांच के दौरान इन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी थी। लेकिन इन सब के बाद भी उनके निलंबन वापस लेने में 2 साल से भी ज्यादा का वक्त लग गया। सचिवालय प्रशासन विभाग ने इस संदर्भ में बहाली का आदेश जारी करते हुए निलंबन अवधि के सभी वेतन भत्ते उन्हें दिए जाने के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड सचिवालय प्रशासन के उप सचिव हनुमान प्रसाद तिवारी के हवाले से बहाली का आदेश जारी किया गया है. हालांकि, अभी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है. संतोष बडोनी सँयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
■लगा था लापरवाही का आरोप: सचिवालय प्रशासन■
विभाग ने कार्मिक और सतर्कता विभाग की संस्तुति पर 1 सितंबर 2022 को तत्कालीन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित करने का आदेश जारी किया था। हालांकि इससे पहले ही उन्हें 13 अगस्त को आयोग से हटाते हुए शासन में अटैच कर दिया गया था। निलंबन के दौरान संतोष बडोनी पर अपने कार्यों में लापरवाही बरतने की बात कही गई।
★एसटीएफ जांच में भी संतोष बडोनी रहे क्लीन★
बड़ी बात यह है कि संतोष बडोनी के खिलाफ विजिलेंस की जांच भी करवाई गई। लेकिन इस जांच में इस अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई। इतना ही नहीं, आयोग स्तर पर की गई जांच में भी संतोष बडोनी की पेपर लीक मामले में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई। उधर पेपर लीक मामलों की जांच करने वाली एसटीएफ ने भी संतोष बडोनी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। यह सब होने के बावजूद भी इस अफसर को अचानक निलंबित करने के आदेश दे दिए गए