हल्द्वानी से स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
आज हल्द्वानी में किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष और किसान मकान बचाओ संघर्ष समिति के संस्थापक किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से राज्य के उच्च शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा।
इस ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि उत्तराखंड की क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल एजुकेशन शुरू की जाए।
“भाषा और संस्कृति हमारी आत्मा हैं” – कार्तिक उपाध्याय
ज्ञापन में कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड की आत्मा इसकी सांस्कृतिक और भाषाई विविधता में बसती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य के सीमित संसाधनों वाले किसान अपने बच्चों को डॉक्टर बनते देखना चाहते हैं, तो क्या उन्हें यह सपना पूरा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए?
क्षेत्रीय भाषा में Medical Education से क्या होंगे लाभ?
कार्तिक उपाध्याय ने ज्ञापन में यह तर्क रखा कि यदि मेडिकल शिक्षा को कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी भाषाओं में उपलब्ध कराया जाए, तो:
-
छात्रों को आसान और समझने योग्य शिक्षा मिलेगी
-
स्थानीय युवाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा
-
शिक्षा अधिक सुलभ और किफायती हो सकेगी
-
पहाड़ों में सेवा करने के लिए प्रेरित होंगे छात्र
उन्होंने इसे एक “ऐतिहासिक सामाजिक क्रांति” की संज्ञा दी और कहा कि इससे युवाओं को आत्मविश्वास मिलेगा और वे स्थानीय डॉक्टर बनकर अपने गाँव-समाज की सेवा कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार का किया उल्लेख
ज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विचार का भी जिक्र किया गया, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु में तमिल भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा देने की बात कही थी। कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि उसी सोच के अनुरूप उत्तराखंड में भी यह पहल जरूरी है।
निष्कर्ष: भाषाई अधिकारों से जुड़े सपनों को मिल सकती है उड़ान
ज्ञापन के अंत में कार्तिक उपाध्याय ने स्वास्थ्य मंत्री से गंभीरता से विचार करने और उत्तराखंड की मातृभाषाओं में मेडिकल एजुकेशन शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस पहल से हजारों युवाओं के सपनों को नई उड़ान मिल सकती है।
