हरिद्वार नगर निगम की 54 करोड़ रुपये की जमीन खरीद में हुए लैंड यूज घोटाले की जांच पूरी हो गई है। वरिष्ठ आईएएस अफसर रणवीर सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट शहरी विकास सचिव नितेश झा को सौंप दी है, जिसमें तीन शीर्ष अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी ठहराया गया है।
जांच रिपोर्ट में हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को जिम्मेदार बताया गया है। इन पर लैंड यूज परिवर्तन में नियमों की अनदेखी, जल्दबाजी में खरीद प्रक्रिया और सरकारी खजाने को करोड़ों की चपत पहुंचाने के गंभीर आरोप हैं।
कैसे हुआ खेल?

नगर निगम ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा कृषि भूमि को 54 करोड़ में खरीदा। जबकि उस समय उसका वास्तविक मूल्य कृषि श्रेणी में केवल 15 करोड़ के आसपास था। लेकिन लैंड यूज को 20 दिन में ही बदलकर इसे कामर्शियल बना दिया गया, जिससे जमीन की कीमतें आसमान छू गईं।
तेजी से बदला लैंड यूज
जांच में सामने आया कि अक्टूबर में एसडीएम ने लैंड यूज बदला, तुरंत एग्रीमेंट हुआ और नवंबर में रजिस्ट्री पूरी कर दी गई। इससे पूरे मामले पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार की गंध आ रही है।
अब आगे क्या?
रिपोर्ट के बाद अब गेंद शासन के पाले में है। दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। साथ ही जमीन बेचने वाले किसानों के बैंक खाते फ्रीज करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
पृष्ठभूमि:
यह घोटाला उस समय हुआ जब नगर निगम भंग था और प्रशासक के रूप में आईएएस वरुण चौधरी कार्यरत थे। बाद में मेयर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिसके बाद जांच सौंपी गई।
अब सवाल यह है कि क्या धामी सरकार इस घोटाले में दोषियों को बचाएगी या भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी?