समारोह में उन्हें पारम्परिक वाद्य यंत्र रणसिंघा और ढोल-दमाऊ का प्रतीक चिन्ह, शाल एवं अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया।
सम्मान के पीछे का कारण
संस्था के अध्यक्ष और फिल्म निर्देशक प्रदीप भण्डारी ने बताया कि डीएम बंसल ने कार्यभार ग्रहण करते ही जनसेवा में असाधारण तत्परता दिखाई। उनके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
✅ 132 भिक्षावृत्ति में फंसे बच्चों को स्कूल भेजना
✅ बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए ‘सारथी वाहन सेवा’
✅ आईएसबीटी जलभराव समाधान और भूमि विवादों का निस्तारण
✅ एक विधवा महिला को मात्र 3 दिन में बैंक से मुक्ति दिलाना
✅ राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान और हक दिलाने का कार्य
✅ जनता से संवाद में संवेदनशीलता और मानवता का परिचय
डीएम सविन बंसल का वक्तव्य
सम्मान ग्रहण करते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा:
“यह सम्मान मेरे लिए कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह उत्तराखंड की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का संकल्प है।”
उन्होंने इस सम्मान को प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों, सामाजिक संस्थाओं और मीडिया को समर्पित किया।
उन्होंने लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने और बच्चों को अपने परिवार एवं समुदाय से जोड़ने पर विशेष जोर दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में बिखरी लोक छटा
कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोकगायिका मीना राणा, हेमंत बुटोला और मीना आर्य ने पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
पदमश्री प्रीतम भरतवाण, राज्य आंदोलनकारी मंच अध्यक्ष जगमोहन नेगी, उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष भूपेन्द्र कंडारी, प्रदीप कुकरेती और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी डीएम बंसल के कार्यों की सराहना की।
लोकरत्न हिमालय सम्मान का इतिहास
यह सम्मान संस्था द्वारा 1997 से लोकसेवा, शिक्षा, संस्कृति व पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत विभूतियों को दिया जा रहा है। इससे पहले रस्किन बॉन्ड, नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भरतवाण, हरिदत्त भट्ट शैलेश और हिमानी शिवपुरी के पिता जैसे प्रसिद्ध नाम इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं।