गांव से शुरुआत, कला तक का सफर
पंकज सुन्दरियाल का जन्म 6 जुलाई 1981 को ग्राम मजगांव, किमगड़ीगाड़ पट्टी-चौंदकोट, पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उनके पिता स्व. पुरुषोत्तम सुन्दरियाल एक प्रधानाचार्य थे और मां श्रीमती कान्ती देवी एक संस्कारी गृहिणी। पंकज ने अपनी शुरुआती शिक्षा चौबट्टाखाल से पूरी की और पौड़ी कैंपस से एमएससी करने के बाद बीएड, बीटीएस और पर्यटन-योग में पीजी डिप्लोमा भी हासिल किया।
एक सामान्य दिन और जन्मी अनोखी सोच
वर्ष 2009 में शिक्षक बनने से पहले पंकज दुकानदारी करते थे। एक दिन जब वे मंदिर से लौटे तो माचिस और फेविकोल घर लेकर आए और उनके मन में एक विचार आया – “श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति माचिस की तीलियों से क्यों न बनाई जाए?” यही विचार उनकी कलात्मक यात्रा की नींव बन गया।
तीलियों से गढ़े विश्व धरोहर
इसके बाद पंकज ने तीलियों से कई ऐतिहासिक और धार्मिक इमारतों की प्रतिकृतियाँ बनाई जिनमें शामिल हैं:
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श्री केदारनाथ मंदिर
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ताजमहल
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बोरगंड चर्च (नॉर्वे)
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कार्नर टॉवर ऑफ चाइना
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और अब श्रीराम मंदिर, अयोध्या
तीन वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने श्रीराम मंदिर की तीलियों से बनी ऐसी प्रतिकृति तैयार की है, जिसे वे स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करना चाहते हैं। उनका सपना है कि इसे अयोध्या के राम मंदिर संग्रहालय में स्थान मिले।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में लगातार दो बार नाम दर्ज
पंकज सुन्दरियाल उत्तराखंड के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका नाम वर्ष 2021 और 2022 में लगातार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। यह उपलब्धि उनके लिए ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के लिए भी गर्व की बात है।
शिक्षा के साथ कला का समर्पण
वर्तमान में पंकज सुन्दरियाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय अंसारी थापला कोटा संकुल, एकेश्वर ब्लॉक, पौड़ी गढ़वाल में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। वह बच्चों को नियमित शिक्षा के साथ-साथ हस्तशिल्प और प्रतिकृति निर्माण की कला भी सिखा रहे हैं।
सर्वधर्म समभाव का संदेश
पंकज केवल एक मंदिर ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के प्रतीक स्थलों की प्रतिकृति बनाते रहे हैं। वे आगे गुरुद्वारा भी बनाना चाहते हैं और दुनिया को सर्वधर्म समभाव का संदेश देना चाहते हैं।