ईडी ने जल जीवन मिशन में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका के चलते उत्तराखंड पेयजल निगम के कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, जांच के दायरे में निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक, वर्तमान मुख्य अभियंता और कई अन्य उच्चाधिकारी शामिल हैं। इस कार्रवाई के बाद विभागीय गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है।
केंद्र ने रोकी धनराशि, ठेकेदार भुगतानों के इंतजार में
खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार ने मिशन के तहत भेजी गई भारी भरकम राशि के दुरुपयोग की आशंका के चलते अगली किस्त जारी नहीं की है। वहीं, उत्तराखंड में परियोजना पर कार्य कर रहे ठेकेदारों को भुगतान नहीं मिल पा रहा है, जिससे जमीनी कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
“आलूवाले” का नाम फिर आया चर्चा में
सूत्रों का कहना है कि एक “आलूवालिया” नामक व्यक्ति, जो कथित तौर पर अधिकारियों से सांठगांठ कर रहा था, अब फरार है। बताया जा रहा है कि उसी ने कई अहम दस्तावेज ईडी को सौंपे हैं, जिससे जांच को गति मिली है। इस व्यक्ति की भूमिका मिशन से जुड़ी मोटी रकम के गबन में बताई जा रही है।
निर्माण में अनियमितता, घटिया सामग्री, फर्जी भुगतान की शिकायतें
ईडी को जिन बिंदुओं पर शिकायतें मिली हैं, उनमें निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में लापरवाही, घटिया सामग्री का इस्तेमाल, निर्धारित समयसीमा का उल्लंघन और फर्जी भुगतान जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। इससे पहले भी मिशन में स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार की बातें सामने आती रही हैं, लेकिन अब जांच एजेंसी के हस्तक्षेप से मामला गंभीर मोड़ पर है।
धामी सरकार पर अब जनता की नजरें
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पूरे मामले का स्वतः संज्ञान लेंगे और जांच के आदेश देंगे? या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह दबा दिया जाएगा? यह आने वाला समय तय करेगा कि भ्रष्टाचार के इस धब्बे को राज्य सरकार किस तरह से साफ करती है।
फिलहाल जल जीवन मिशन की विश्वसनीयता पर गहरा आघात हुआ है, और यदि ईडी की जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है, तो यह राज्य प्रशासन की साख के लिए एक बड़ा झटका होगा।